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कैविटी की वजह से होता है यह अजीब-सा कैंसर, मरीज को मेटल जैसा लगता है खाना

कैविटी के कारण एक व्यक्ति को हुआ ब्रेन कैंसर जानिए एक इंसान को कैविटी के कारण कैसे इतनी गंभीर बीमारी हो सकती है? मरीज को मेटल जैसा लगने लगता है खाना.जानें इसके लक्षण और कारण.

क्रिस कुक 40 साल ट्रायथलीट जो सप्ताह में चार दिन अपनी फिटनेस के लिए समर्पित करते हैं. ग्लियोब्लास्टोमा नाम की एक प्रकार के ब्रेन ट्यूमर का पता चला था. क्योंकि उन्हें लगा था कि उनके मुंह में धातु जैसा स्वाद एक कैविटी की वजह से है. छह सप्ताह तक रेडिएशन, लगातार 42 दिनों तक कीमोथेरेपी और फिर 12 महीनों तक हर 28 दिन पर कीमोथेरेपी करवाने के बाद, कुक ने आखिरकार मई 2024 में अपना इलाज पूरा किया. अपने पहले लक्षण का अनुभव करने के लगभग एक साल और पांच महीने बाद. अब जब मिशिगन निवासी अपनी कहानी साझा करते हैं. तो कुक एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के अपने डॉक्टरों के साथ-साथ अपने परिवार, सकारात्मक दृष्टिकोण और विश्वास को कठिन समय से बाहर निकालने का श्रेय देते हैं.

कुक जो अब 42 वर्ष के हैं. हाल ही में TODAY.com को दिए एक इंटरव्यू में बताया, मुझे अपने मुंह में अजीब सा स्वाद महसूस हुआ. मुझे लगा कि शायद यह कोई पुरानी कैविटी है जिसे बदलने की जरूरत है. दिसंबर 2022 में कुक के दौड़ने के दौरान अजीब गंदा जैसा स्वाद आया. कुछ मील चलने के बाद उन्हें मतली और घबराहट महसूस होने लगी और फिर बेहोश हो गए.

पैरामेडिक

 उन्हें यह भी याद है कि वे पैरामेडिक के आने पर उनसे बात नहीं कर पाए थे. आपातकालीन कक्ष में कुक की बोलने की क्षमता वापस आ गई और जांच के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें संभवत दौरा पड़ा था और बाद में उन्हें ब्रेन एमआरआई करवाने की जरूरत पड़ी. जिसमें उनके सिर में एक गांठ पाई गई.

इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक डॉक्टर ने शुरू में उन्हें बताया था कि उनके पास शायद एक साल का जीवन बचा है. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर में दूसरी राय लेने का फैसला किया. दौड़ने की घटना के दो महीने बाद उन्हें ईआर में भेजा गया, 1.54 सेंटीमीटर के ट्यूमर के अधिकांश हिस्से को हटाने के लिए उनकी लंबी सर्जरी की गई. इलाज के दौरान, कुक और उनकी पत्नी ने सितंबर 2023 में शादी करने का फैसला किया.

रेडिएशन और कीमोथेरेपी इलाज पूरा करने के बाद से उनका एमआरआई साफ़ हो गया है, लेकिन वे अभी भी ठीक नहीं हुए हैं और हर दो महीने में स्कैन करवाते रहते हैं.कुक अपने डॉक्टरों जीवन के प्रति दृष्टिकोण और भगवान की प्रशंसा करते हैं. जिन्होंने उन्हें ग्लियोब्लास्टोमा को हराने की कोशिश करने का वास्तव में अच्छा मौका दिया है.

ग्लियोब्लास्टोमा

ग्लियोब्लास्टोमा (GBM) ग्लियोमा का एक तरह का ब्रेन कैंसर है. ग्लियोमा कोशिकाओं की वृद्धि है जो ग्लियल कोशिकाओं की तरह दिखती हैं. यह तेजी से बढ़ता है और मस्तिष्क में होता है, जो शरीर का सबसे सुरक्षित हिस्सा है। इसका मतलब है कि सर्जरी तेजी से की जानी चाहिए, और रक्त/मस्तिष्क अवरोध के कारण कुछ ही दवाएं ट्यूमर तक पहुँच सकती हैं। कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करते समय, डॉक्टरों को ट्यूमर के विकास को धीमा करने के लिए प्रत्येक को व्यक्तिगत रूप से लक्षित करना चाहिए क्योंकि सभी कोशिकाएँ समान या विषम नहीं होती हैं.

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ग्रेड 4 ग्लियोमा ब्रेन ट्यूमर

ट्यूमर जिस तरह से मस्तिष्क में घुसता है. उसके कारण सर्जरी अक्सर सभी कैंसर को नहीं हटा पाती है.इसका मतलब है कि सर्जरी के तुरंत बाद ट्यूमर फिर से बढ़ना शुरू हो सकता है.जॉन्स हॉपकिन्स कॉम्प्रिहेंसिव ब्रेन ट्यूमर सेंटर के डॉ. जॉन वीमगार्ट ने सर्वाइवरनेट को बताया कि ग्लियोब्लास्टोमा एक ग्रेड 4 ग्लियोमा ब्रेन ट्यूमर है.

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जब ब्रेन कैंसर की बात आती है. तो उन्हें 1 से 4 तक ग्रेड किया जाता है . 4 ब्रेन कैंसर का अधिक आक्रामक रूप होता है. मोफिट कैंसर सेंटर के अनुसार ग्लियोब्लास्टोमा को हमेशा ग्रेड 4 मस्तिष्क कैंसर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. क्योंकि इस प्रकार का कैंसर एस्ट्रोसाइटोमा का एक आक्रामक रूप है, जो मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में बन सकता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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