नई दिल्लीः जब सबसे पहले रनिंग की बात आती है तो आपके दिमाग में क्या बात आती है. कार्डियोवस्कुलर एक्टिविटी यानि हार्ट और लंग्स की एक्सरसाइज. लेकिन इसके अलावा भी रनिंग का मतलब बोन, ज्वॉइंट्स, लिगमेंट्स और मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ाना है.
इंजरी होने पर रनिंग बंद करना नहीं है बेस्ट तरीका-
रनिंग इंजरी में आमतौर पर बैड बैक्स, बैड नीज़, एंकल स्प्रेन होता है. जब भी रनिंग के दौरान आपको ये दिक्कतें आती हैं तो डॉक्टर्स रनिंग स्टॉ़प करने के लिए कह देते हैं. लेकिन रनिंग बंद करना बेस्ट तरीका नहीं है. रनिंग बंद करने से हार्ट और लंग्स हेल्दी नहीं रहेंगे.
रनिंग से ही संभव है बॉडी की स्ट्रेंथ वापिस लाना-
बोन, ज्वॉइंट्स, लिगमेंट्स और मसल्स की अपनी काम करने की क्षमता है. इन्हें ट्रेंड होने और स्ट्रेंथ बढ़ाने की जरूरत है जो कि रनिंग से संभव है.
गलत रनिंग के नुकसान-
आपने अक्सर नोट किया होगा जब आप रनिंग की शुरूआत करते हैं तो शुरूआत में तो आप धीमा दौड़ते हैं लेकिन आखिर के कुछ किलोमीटर आप बहुत तेज दौड़ते हैं. क्या आप जानते हैं ये रनिंग का सही तरीका नहीं है. ऐसा करने से बॉडी की स्ट्रेंथ नहीं बढ़ती. ऐसे में अपर बॉडी वीक होने लगती है. आपके कोलैप्स होने का डर भी रहता है. इसके अलावा लंग्स लंबे समय तक सपोर्ट नहीं कर पाते और बॉडी के अन्य पार्ट्स तक ऑक्सीजन ठीक से सरकुलेट नहीं हो पाती.
पैरों पर दौड़ने के लिए ना डालें दबाव-
जब पैर थक जाते हैं तो उन्हें अधिक स्ट्रेंथ और हेल्प की जरूरत होती है ताकि अपर बॉडी ठीक रहे. कई बार ऐसा होता है कि आप तेज दौड़ना चाहते हैं लेकिन पैर साथ नहीं देते लेकिन आपके हाथ तेजी से मूव करते हैं तो आपको पैरों पर दवाब डालना पड़ता है ताकि हाथों के मोमेंट से मैच कर सकें. जबकि ऐसा करने से इंजरी हो सकती है.
ये है दौड़ने का सही तरीका-
आपने प्रोफेशनल्स को देखा होगा कि जब अंतिम पड़ाव होता है तो वे स्पीड स्लो करके बॉडी को मैन्यूप्लेट करके बॉडी तिरछा कर दौड़ने लगते हैं. इससे अपर बॉडी धीरे मूव करती है और पैरों के मैचिंग बैठती है. यही दौड़ने का सही तरीका है.
अपर बॉडी स्ट्रेंथ है जरूरी-
अगर अपर बॉडी में स्ट्रेंथ नहीं है तो आप सही तरह से तेजी से नहीं दौड़ पाएंगे. अपर बॉडी में स्ट्रेंथ नहीं होने से ना सिर्फ चैस्ट कोलैप्स हो सकती है बल्कि लोबैक और नी पेन भी हो सकता है. बॉडी मे इंजरी हो सकती है.
मिड वे में होता है दर्द-
जब रनिंग के कारण घुटनों में दर्द होता है तो ये दौड़ने के र्स्टाटिंग या लास्ट में नहीं बल्कि मिड वे में होता है. ये सभी चीजें स्पाइन की स्टेबिलिटी पर डिपेंड करती हैं. स्पाइन की स्टेबिलिटी सही रनिंग से बढ़ाई जा सकती है.
नोट: आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.