नई दिल्ली: हाल ही में आई एक स्टडी से ये पता चला है कि स्ट्रोक सरवाइवर्स को कैंसर होने की आशंका दोगुनी होती है.


रिसर्च में ये बात सामने आई है कि लगभग 45% कैंसर का निदान होने वाले मरीजों को 6 महीने पहले स्ट्रोक आ चुका था.


क्या कहते हैं डॉक्टर्स-
स्पेन के मेड्रिड में द ला प्रिंसेस हॉस्पिटल की लेखक डॉ. जैकोबो रोगाड़ो का कहना है कि स्ट्रोक के बाद कैंसर डवलप हो सकता है. हालांकि अभी इस पर रिसर्च की जानी है कि वो कौन से फैक्टर्स हैं जिनके कारण स्ट्रोक के बाद कैंसर डवलप होता है.


कैसे की गई रिसर्च-
शोधकर्ताओं ने जनवरी 2012 और दिसंबर 2014 के बीच हॉस्पिटल द ला प्रिंसेस के स्ट्रोक यूनिट के आपातकालीन कमरे में भर्ती सभी 914 मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड को रिव्यूट किया. कुल 381 मरीज उस स्टडी में शामिल किये गए और फिर शोधकर्ताओं ने उन्हें स्ट्रोक डायग्नोस होने के 18 महीनों तक ऑब्जर्व किया.


रिसर्च के नतीजे-
18 महीने के फॉलो-अप के दौरान 29 (7.6%) स्ट्रोक सरवाइवर्स को कैंसर डायग्नोस हो गया था. इन कैंसर में शामिल थे कोलन कैंसर, लंग कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर. स्ट्रोक होने के बाद कैंसर का डायग्नोस होने का औसतन समय 6 महीने है.


मल्टीवेरियेट एनालिसिस से ये सामने आया कि 76 साल की उम्र के मरीजों में कैंसर के पहले डायग्नोस, में फाइब्रोजन का हाई लेवल और हीमोग्लोबिन का लेवल कम होना जैसे फैक्टर्स भी कैंसर के कारक है.


कैंसर के लक्षण नहीं आए सामने-
रोगाड़ो ने बताया कि स्ट्रोक होने के बाद कैंसर जब डायग्नोस हुआ था तब कैंसर एडवांस स्टेज पर था लेकिन ये 6 महीने बाद डाएग्नोस हुआ था. इससे ये पता चलता है कि स्ट्रोक होने पर कैंसर शरीर में पहले से ही मौजूद था पर उसके कोई लक्षण सामने नहीं आए थे.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.