Covid-19: दिल की बीमारी पहले बुजुर्गों को हुआ करती थी और इसकी संख्या भी सीमित थी लेकिन कोरोना के बाद से ही हार्ट अटैक के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई. मरने वाले में युवाओं की संख्या ज्यादा है. हालांकि ऐसा क्यों हो रहा है इसके पीछे क्या कारण है.इसको लेकर प्रायप्त एविडेंस अभी मौजूद नहीं है.फिलहाल जानकारी इकट्ठा करने के लिए इस पर 3 अलग-अलग तरह का रिसर्च जारी है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने आज संसद में मॉनसून सत्र के दौरान इसको लेकर जानकारी दी है.आइए जानते हैं इस बारे में.


रिसर्च पर क्या बोले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया


1.उन्होंने कहा कि भारत में 18 से 45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारकों पर एक मल्टी सेंट्रिक अध्ययन लगभग 40 अस्पतालों/अनुसंधान केंद्रों में चल रहा है.


2.भारत में 2022 में 18 से 45 वर्ष की आबादी के बीच थ्रोम्बोटिक घटनाओं पर कोविड वैक्सीन के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए लगभग 30 COVID-19 क्लिनिकल रजिस्ट्री अस्पतालों में स्टडी चल रही है.


3.इसके अलावा, वरचुअल और फिजिकल शव परीक्षण के माध्यम से युवा लोगों में अचानक अस्पष्ट मौतों का कारण स्थापित करने के लिए एक और अध्ययन चल रहा है.


कब आएगी रिसर्च की रिपोर्ट


कुल मिलाकर तीन विषयों पर रिसर्च स्टडी चल रही है.वहीं पहले जानकारी थी कि स्टडी की रिपोर्ट जुलाई 2023 में जारी की जाएगी. लेकिन स्टडी के शुरुआती रिपोर्ट को लेकर आईसीएमआर काफी डीप स्टडी कर रहा है. ऐसे में कोशिश है कि इसके आंकड़े या इससे जुड़ी कोई भी जानकारी तभी सार्वजनिक किए जाएंगे जब वह पूरी तरह से पुष्ट होंगे.


पीड़ितों के लिए कैसा काम कर रही है सरकार ?


हृदय रोग से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए, केंद्र का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है.


हृदय रोग के मरीज को मेडिकल कॉलेजों, एम्स जैसे केंद्रीय संस्थानों, केंद्र सरकार के अस्पताल और निजी क्षेत्र के अस्पताल में इलाज और स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही है.


एम्स और कई बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत हृदय रोग और इसके विभिन्न पहलुओं में भी ध्यान केंद्रित किया गया है.


प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत हर साल 5 लाख तक के इलाज का हेल्थ इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराया गया है. 60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को इसका फायदा मिल रहा है.