कोविड (Covid) से ठीक होने के बाद भी कुछ लोग आज भी कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर रहे हैं. अधिकतर लोगों को लंग्स से जुड़ी कई सारी समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है. आज हम इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे. वेल्लोर के 'क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज' द्वारा किए गए रिसर्च में यह बात स्पष्ट रूप से कहा गया कि कोविड की बीमारी से ठीक होने के बाद भी लोगों के फेफड़ों पर इसका गंभीर असर हुआ है और सिर्फ इतना ही नहीं लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले हैं.


भारत में हुआ यह खास रिसर्च


कोविड के कारण फेफड़ों पर होने वाले असर को लेकर भारत में सबसे बड़ा रिसर्च किया गया है. इस रिसर्च 207 व्यक्तियों को शामिल किया गया.  जिसमें यह देखा गया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लंग्स का फंक्शन ठीक से काम कर रहा है या नहीं. फेफड़ों में इंफेक्शन होने का खतरा कितना ज्यादा है. लंग्स कैंसर की संख्या पहले से किसी बढ़ी है. 


स्टडी से क्या पता चला?


इस रिसर्च में यह भी खुलासा किया गया है कि  SARS-CoV-2 के कारण लंग्स के फंक्शन पर काफी ज्यादा बुरा असर हुआ है.  यह PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में पब्लिश भी हुआ है. कोविड से ठीक होने के बाद भी रिसर्च में शामिल लोगों के के लंग का कंप्लीट लंग फंक्शन टेस्ट, छह मिनट का चलने का परीक्षण, ब्लड टेस्ट और लाइफस्टाइल का पूरा लेखा-जोखा रखा गया है. 


सेंसिटिल लंग फंक्शन टेस्ट, जिसे गैस ट्रांसफर (DLCO) कहते हैं. यह हवा से सांस लेने को रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन कितनी देर में लेते हैं उसे मापने का काम करता है. यह 44 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है. जिसे CMC डॉक्टरों ने "बहुत चिंताजनक" बताया. 35% लोगों में रेस्ट्रिक्टिव लंग डिफेक्ट पाया गया. यह सांस लेने और फेफड़ों में हवा फुलाने में काफी ज्यादा प्रभावित किया है. इस स्टडी में क्वालिटी ऑफ लाइफ टेस्ट पर में भी नेगेटिव इम्पैक्ट देखा गया.


दूसरे देशों के मुकाबले क्यों है ज्यादा भारतीय प्रभावित


सीएमसी, वेल्लोर के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और इस स्टडी के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ. डीजे क्रिस्टोफर (Dr. DJ Christopher) टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में बताया कि इंडियन मरीजों की हालत दूसरे देशों के मरीजों के मुकाबले काफी ज्यादा खराब है. इनकी तुलना हम यूरोपियन और चीन के लोगों से करें तो यह आंकड़े बेहद खराब है. भारतीयों में डायबिटीज और बीपी की परेशानी दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है. 


नानावटी अस्पताल में हेड ऑफ पल्मोनोलॉजी, डॉ सलिल बेंद्रे (Dr. Salil Bendre) ने TOI से खास बातचीत में बताया कि गंभीर स्थिति में भर्ती होने के बाद ऑक्सीजन सपोर्ट और स्टेरॉयड ट्रीटमेंट के बाद मरीज ठीक हो जाता है. लेकिन अगर इंफेक्शन बढ़ जाए तो यह बीमारी 95 प्रतिशत तक फेफड़े को नुकसान पहुंचा देती है. जिसके कारण 4-5 प्रतिशत तक यह कमजोर हो जाते हैं. 


कोरोना के बाद लंग्स में होने वाले इंफेक्शन


कोविड के कारण लंग्स कैंसर के केसेस में कोई खास बदलाव तो नहीं आए है लेकिन लंग्स के फंक्शन से जुड़ी बीमारियों के आंकड़े बढ़े हैं. लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में लंग्स फाइब्रोसिस देखने को मिले हैं. जिसमें सांस फूलना और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं. जिन मरीजों के बचपन में एलर्जी और अस्थमा की शिकायत थी. उन्हें कोरोना से पहले तक कंट्रोल में था. लेकिन कोरोना के बाद से यह काफी ज्यादा गंभीर हो गया है. कोविड के बाद ऐसे लोगों को इन्हेलर की जरूरत पड़ती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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