दुनिया के पहले आयुर्वेद फेमटेक ब्रांड गाइनोवेडा ने 18-45 साल की उम्र में 3 लाख महिलाओं के ऊपर एक बहुत बड़ा सर्वे किया था. जिसमें पता चला कि 70 प्रतिशत महिलाओं के पीरियड्स में कई तरह की दिक्कतें होती हैं और इसके पीछे का कारण उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. इसी आधार पर गाइनोवेडा ने शरीर में होने वाली शारीरिक बदलाव को उन्होंने तीन समूहों में बांटा. रिसर्च से पता चला है कि 70 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस जैसी गंभीर मासिक धर्म संबंधी विकार से पीड़ित हैं. वहीं लगभग 26 प्रतिशत महिलाएं असुविधा, इंफेक्शन और इरेगुलर पीरियड्स से संबंधित है. उनकी शारीरिक गड़बड़ी के कारण उनके इंटरनल ऑर्गन भी प्रभावित होते हैं. इस पूरे रिसर्च में सिर्फ 4 प्रतिशत महिलाओं को पीरियड्स संबंधी प्रॉब्लम दर्ज नहीं किए गए हैं.
क्या कहता है रिसर्च
रिजल्ट में यह पाया गया कि 25 से 34 की उम्र के बीच वाली 60 प्रतिशत महिलाएं- लड़कियां पीसीओएस की बीमारी से पीड़ित हैं. हालांकि, इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि 24 साल से कम उम्र वाली 51 प्रतिशत महिलाएं इस स्थिति से प्रभावित हैं. रिसर्च में पता चला है कि पीसीओएस उम्र से बंधा नहीं है. इससे यह भी पता चलता है कि पीसीओएस का महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भारी प्रभाव पड़ता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (भारत सरकार) के रिसर्च के मुताबिक पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में बांझपन की व्यापकता 70% से 80% तक है.
रिसर्च में हुआ ये खुलासा
इस पूरे रिसर्च में पीसीओएस एक चिंता के रूप में सामने आई है. गाइनोवेडा रिपोर्ट भारत में महिलाओं को पीड़ित करने वाले दूसरे स्त्रीरोग संबंधी विकारों का भी खुलासा करती है. सर्वेक्षण में शामिल लगभग 54% महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं, जो इसे सबसे प्रचलित मासिक धर्म विकार बनाती है. हालांकि, इसके बाद पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) आती है. जो 17% महिला आबादी को प्रभावित करती है. कैंडिडिआसिस 9% को प्रभावित करता है. फाइब्रॉएड 5% को प्रभावित करता है. और एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया 1% में देखा जाता है.
रिसर्च में इरेगुलर पीरियड्स और मासिक धर्म के दौरान दर्द से संबंधित मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया. 83% महिलाओं ने बताया कि उन्हें मासिक धर्म में दर्द का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण उन्हें हर महीने दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करना पड़ता है. इनमें से 58% ने अपने दर्द को हल्का और सहनीय बताया, जबकि 25% ने गंभीर दर्द बताया. लगभग 76% महिलाओं ने कम प्रवाह के साथ अनियमित मासिक धर्म की सूचना दी.अध्ययन से पता चलता है कि लगभग आधी महिलाओं ने स्वस्थ मासिक धर्म प्रवाह के लिए प्रति चक्र 10 से 12 पैड की सलाह के बजाय पूरे मासिक धर्म चक्र में 5 पैड का उपयोग करने का संकेत दिया.
पीसीओएस शारीरिक परिवर्तन और भावनात्मक संकट को भी प्रभावित करता है. सर्वेक्षण में भाग लेने वाली लगभग 60% महिलाओं ने पीसीओएस के कारण वजन बढ़ने की समस्या बताई. 59% महिलाओं ने चेहरे पर बालों की समस्या बताई. मुंहासे जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से 55% महिलाएं प्रभावित हुईं, जबकि दूसरे हार्मोनल त्वचा संबंधी समस्याओं से 51% महिलाएं परेशान हुईं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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