कर्नाटक में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक महिला की सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से उसकी रीढ़ की हड्डी में सर्जिकल सुई छूट गई थी. इस लापरवाही के कारण महिला को 6 साल तक लगातार दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ा. यह घटना दिखाती है कि मेडिकल लापरवाही कितनी खतरनाक हो सकती है और कैसे एक गलती मरीज की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है. आइए जानते हैं इस मामले की पूरी बात..


सर्जरी के बाद दर्द
2004 में, 46 वर्षीय पद्मावती को बेंगलुरु के दीपक अस्पताल में सर्जरी के लिए भर्ती कराया गया था. सर्जरी के कुछ दिन बाद ही उन्हें पेट और पीठ में दर्द होने लगा.यह दर्द बढ़ता गया, लेकिन इसकी असली वजह का पता नहीं चल पा रहा था.  उन्होंने कई डॉक्टरों से सलाह ली, अल्ट्रासाउंड और अन्य जांचें करवाईं, लेकिन किसी भी जांच में दर्द की असली वजह सामने नहीं आई. कई साल तक दर्द की दवाइयां लेने के बाद भी उन्हें आराम नहीं मिला. 


दर्द का कोई समाधान नहीं
उन्होंने दर्द से राहत पाने के लिए कई साल तक अलग-अलग दवाइयां लीं, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ. पद्मावती का दर्द इतना बढ़ गया था कि उनका रोजमर्रा का जीवन बहुत मुश्किल हो गया था. दर्द की वजह से वह सामान्य गतिविधियां भी नहीं कर पा रही थीं और मानसिक रूप से भी बहुत परेशान थीं. 


लापरवाही का पता
लगभग 6 साल तक दर्द सहने के बाद, 2010 में एक विस्तृत जांच में पता चला कि उनके पेट में 3.2 सेमी की सर्जिकल सुई फंसी हुई है. यह सुई उनकी रीढ़ की हड्डी में थी, जिससे उन्हें असहनीय दर्द और मानसिक आघात हो रहा था. इस सुई की वजह से ही पद्मावती को इतने सालों तक दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ा. इसके बाद, पद्मावती ने दूसरे अस्पताल में सर्जरी करवाई और सुई को निकाला गया. 


उपभोक्ता फोरम का आदेश
कर्नाटक राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस मामले में कड़ा कदम उठाया. आयोग ने बेंगलुरु के दीपक अस्पताल और दो डॉक्टरों पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. यह जुर्माना पद्मावती की सर्जरी के दौरान हुई लापरवाही के लिए लगाया गया, जिसमें डॉक्टरों ने गलती से सर्जिकल सुई उनकी रीढ़ की हड्डी में छोड़ दी थी.


बीमा कंपनी पर भी हर्जाना
इसके साथ ही, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, जिसने अस्पताल को लापरवाही के जोखिम के खिलाफ बीमा पॉलिसी दी थी, को भी हर्जाना देने का आदेश दिया गया. बीमा कंपनी को 5 लाख रुपये का हर्जाना पद्मावती को देना होगा. यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि अस्पताल और बीमा कंपनी दोनों अपनी जिम्मेदारी समझें और भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो.


मुकदमे की लागत
इसके अलावा, पद्मावती को मुकदमे की लागत के रूप में 50,000 रुपये भी दिए गए. यह राशि उन्हें न्याय पाने के लिए किए गए खर्च की भरपाई के लिए दी गई. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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