नई दिल्लीः मोटापे से ग्रस्त लोगों में स्वाइन फ्लू इंफेक्शन से प्रभावित होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है. हैबिलाइट ओबेसिटी ग्रुप के एक रिसर्च में यह बात सामने आई है. स्वाइन फ्लू एच1एन1 इन्फ्लुएंजा श्वसन प्रणाली को प्रभावित करने वाला इंफेक्शन है.


क्या कहती है रिसर्च-
मेडिकली जिस व्यक्ति का बीएमआई 30 या उससे अधिक होता है, वह अत्यधिक मोटापे के शिकार की श्रेणी में आता है. वहीं दूसरी तरफ वह व्यक्ति जिसका बीएमआई 30 से थोड़ा कम होता है, उसे इस इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है हालांकि वह भी अधिक वजन की श्रेणी में ही आता है. वहीं अत्यधिक मोटापे के शिकार लोगों में जिनका बीएमआई 40 से अधिक होता है, उनमें स्वाइन फ्लू के कारण मौत का भी खतरा होता है.


क्या कहते है एक्सपर्ट-  
हैबिलाइट सेंटर फॉर बैरिएट्रिक एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के निदेशक डॉ. कपिल अग्रवाल बताते हैं कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में आमतौर पर पहले से ही मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और फेफड़ों की बीमारी आदि. इन सभी समस्याओं के कारण मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू के इंफेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. अन्य इंफेक्शंस के कारण फेफड़ों पर अतिरिक्त भार और दबाव के कारण स्वाइन फ्लू के इंफेक्शन से लड़ना मुश्किल हो जाता है.


यशोदा हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. मनीष त्रिपाठी ने बताया कि हालांकि वर्तमान समय में इन्फ्लुएंजा के बचाव के लिए लगने वाले इंजेक्शन ही फ्लू से लोगों की रक्षा करने का सर्वोत्तम उपाय है लेकिन फिर भी यह इंजेक्शन सभी मामलों में प्रभावी साबित नहीं होते हैं. सामान्य व्यवहार में यह पाया गया है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को इन्फलुएंजा शॉट्स देने के बावजूद उनमें इंफेक्शन से प्रभावित होने का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो पाता. उन्हें इन्फ्लुएंजा और फ्लू जैसी बीमारियां काफी हद तक प्रभावित करती हैं.


उन्होंने कहा कि इस तथ्य के पीछे का कारण यह है कि मोटे लोगों की टी-कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं. यही वो कोशिकाएं हैं जो इन्फ्लुएंजा के प्रभाव से सुरक्षा करती हैं. यह बात अलग-अलग अध्ययनों में साबित भी हो चुकी है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में टी कोशिकाएं इन्फ्लुएंजा इंजेक्शन पर विपरीत प्रतिक्रिया देती हैं. इसलिए मौसमी और महामारी इन्फ्लुएंजा वायरस इंफेक्शन से बचाव के लिए हम रोगियों को दवाइयों के अलावा स्वस्थ आहार की आदतों, व्यायाम, योग के वैकल्पिक उपचार को अपनाने की सलाह देते हैं.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.