नई दिल्लीः देशभर में स्वाइन फ्लू का कहर है. यूपी से लेकर महाराष्ट्र, दिल्ली और मध्यप्रदेश तक इसका कहर जारी है. अब स्वाइन फ्लू को लेकर एक और बुरी खबर आई है. जी हां, हाल ही में आई रिसर्च के मुताबिक, H1N1 वायरस से खासतौर पर बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज होने का खतरा है. जानिए, ऐसा क्यों.
क्या कहती है रिसर्च-
रिसर्च के मुताबिक, 2009 से 2010 में H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस से इंफेक्टिड लोगों में सामान्य लोगों के मुकाबले टाइप 1 डायबिटीज होने का खतरा दोगुना था.
टाइप 1 डायबिटीज-
टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने के लिए जरूरी सेल्स को नष्ट कर देता है. नॉर्वेजियन ऑफ पब्लिक हेल्थ इन नॉर्वे के शोधकर्ताओं का कहना है कि हर साल 65,000 से अधिक नए लोग टाइप 1 डायबिटीज से पीडित होते हैं. हालांकि टाइप 1 डायबिटीज के स्पष्ट कारण अभी सामने नहीं आए हैं.
टाइप 1 डायबिटीज होने का कारण-
यूं तो टाइप 1 डायबिटीज जेनेटिक मानी जाती है लेकिन एन्वायरमेंट भी इसके लिए बहुत हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है. लेकिन हाल ही में आई रिसर्च में कुछ और ही पाया गया. रिसर्च कहती है कि अभी तक H1N1 वायरस को नार्कोलेप्सी के साथ ही ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर के डवलप होने का कारण माना जा रहा था लेकिन अब 2009 से 2014 के बीच हुए सर्वे में पाया गया कि टाइप 1 डायबिटीज होने का कारण स्वाइन फ्लू वायरस भी है.
बच्चों में देखा गया अधिक रिस्क-
2009 में स्वाइन फ्लू से पीडित 2,376 व्यक्तियों में टाइप 1 डायबिटीज डायग्नोज की गई. वहीं जिन लोगों ने स्वाइन फ्लू होने की संभावना जताई थी उनमें से 18% टाइप 1 डायबिटीज होने का खतरा देखा गया. शोधकर्ताओं ने रिसर्च में ये भी देखा कि 15 साल या उससे कम उम्र के जिन बच्चों में स्वाइन फ्लू वायरस की पुष्टि हुई उनमें टाइप 1 डायबिटीज होने की आशंका दोगुनी थी.
स्वाइन फ्लू का शुरूआती इलाज है जरूरी-
हालांकि जिन लोगों ने स्वाइन फ्लू का प्राथमिक उपचार लिया उनमें टाइप 1 डायबिटीज होने की आशंका बहुत अधिक नहीं रही.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.