Stress In Pregnancy Can Harm Your Unborn Baby : गर्भावस्था एक महिला के जीवन का बहुत ही खूबसूरत पल होता है.यहां से एक महिला की नई जिंदगी शुरू होती है.हालांकि ये जर्नी इतनी आसान नहीं होती.इसमें जहां खुशी होती है तो वहीं मूड स्विंग, तनाव और स्ट्रेस भी होती है.कुछ महिलाओं को कुछ ज्यादा ही स्ट्रेस होता है.तनाव के कारण नींद लेने में भी परेशानी होती है.कई शोधकर्ताओं ने इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान विकासशील बच्चे पर मां के तनाव के प्रभाव पर लगातार प्रकाश डाला है.इस लेख में, हम अजन्मे बच्चे पर तनाव के हानिकारक प्रभावों को जानेंगे...
प्रेग्नेंसी में तनाव से होने वाली दिक्कतें
प्रीमैच्योर डिलीवरी -मैटरनल तनाव के कारण बच्चे का समय से बपहले जन्म हो सकता है. प्रीमैच्योर डिलीवरी से शिशु के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, पीलिया और सेप्सिस, शिशु के विकास में देरी, सुनने और देखने में दिक्कत सहित लॉन्ग टर्म स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है.
बच्चे का कम वजन हो सकता है-मैटरनल तनाव के चलते बच्चे का वजन कम हो सकता है.गर्भावस्था के दौरान तनाव जन्म के समय कम वजन के प्रमुख कारणों में से एक है. जन्म के समय कम वजन से विकास में देरी, जन्म के समय जटिलताएं और भविष्य में स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है. अध्ययनों से पता चला है कि जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं में टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
ब्रेन के विकास पर असर पड़ता है- गर्भावस्था के दौरान तनाव भ्रूण के विकासशील मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है. विकासशील मस्तिष्क तनाव हार्मोन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है, और कोर्टिसोल के उच्च स्तर के संपर्क में आने से मस्तिष्क की संरचना और कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इससे व्यवहार संबंधी समस्याएं, सीखने में कठिनाइयां और भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान मैटरनल तनाव बाद के जीवन में बच्चे के आईक्यू पर प्रभाव डाल सकता है.
कैसे कम करें तनाव
गर्भवती माताओं के लिए अपने अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचाने के जोखिम को कम करने के लिए अपने तनाव के स्तर को प्रबंधित करना जरूरी है. महिलाएं इसे व्यायाम, ध्यान, योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज से कम कर सकती हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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