TB Cases: साल 2019 के मुकाबले 2020 में टीबी के मामलों में 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में इसकी जानकारी दी. हालांकि एक्स्पर्ट्स का मानना है कि टीबी के मामलों में इस कमी का मुख्य कारण कोरोना के चलते लगा लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंध है. एक्स्पर्ट्स के अनुसार इन प्रतिबंधों के चलते बहुत कम लोग हॉस्पिटल आए और टीबी की टेस्टिंग भी बेहद कम हुई है.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए डेटा के अनुसार साल 2020 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक देश में टीबी के 18 लाख नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं. जबकि साल 2019 में इसके 24 लाख मामले रिपोर्ट किए गए थे. बता दें कि, भारत में कोरोना का पहला मामला साल 2020 में जनवरी महीने के अंत में सामने आया था. मार्च से देशभर में कोरोना की पहली लहर की शुरुआत हो गई थी. जिसके बाद 24 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था. 


कोरोना संक्रमण के डर से लोग नहीं गए हॉस्पिटल  


नई दिल्ली टीबी सेंटर के निदेशक डॉक्टर केके चोपड़ा के अनुसार, "लॉकडाउन के दौरान लोग टीबी की टेस्टिंग के लिए हॉस्पिटल नहीं जा पाए. साथ ही उस दौरान कोरोना संक्रमण का भी होने का भी डर था, जिसकी वजह से कोई भी हॉस्पिटल नहीं जाना चाहता था. यहीं नहीं, हमारे स्टाफ को भी हॉस्पिटल आने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसके चलते टीबी की रोजाना की टेस्टिंग में भी कमी आई थी."


साथ ही उन्होंने कहा, "इस दौरान मरीजों के सेंपल कलेक्ट करने के लिए हमने प्राइवेट स्वास्थ्य केंद्रों की भी मदद ली. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान टीबी की टेस्टिंग को लेकर हमारी तैयारी पहले से बेहतर थी, अब यदि आगे कोविड के मामले दोबारा बढ़ते हैं तो हम उसके लिए अच्छे से तैयार हैं." 


ओपीडी बंद होने के चलते भी टीबी के कम मामले हो पाए रिपोर्ट 


लॉकडाउन और उसके बाद भी लंबे समय तक हॉस्पिटल में ओपीडी की सुविधा भी बंद रही. इसके चलते भी इस दौरान टीबी के कम मामले रिपोर्ट हो सके थे. एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी के पूर्व हेड डॉक्टर जीसी खिलनानी के अनुसार, "लॉकडाउन के दौरान सभी हॉस्पिटल में ओपीडी सुविधा बंद थी. इसकी वजह से भी टीबी के कम मामले रिपोर्ट हो सके थे. टीबी ही नहीं इस दौरान अन्य बीमारियों के भी कम मामले आमने आ पाए थे."


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