Hot Tea Benefits: लोग चाय पीने के दीवाने होते हैं. कई लोगों की आंख बिना चाय के नहीं खुलती हैं. बहुत से लोगों को अखबार पढ़ते या गप्प शप्प मारते समय चाय चाहिए होती है. मौसम में थोड़ी सी ठंड क्या बढ़ी, चाय पकौड़ी याद आने लगती है. कापफी लोग तो ऐसे होते हैं. जिन्हें आठ से दस बार चाय चाहिए होती है. बिना चाय पीए, उनमें चुस्ती नहीं आ पाती है. लोगों को चाय भी गर्मागर्म चाहिए होती है. ठंडी चाय होने पर अकसर दोबारा गर्म कराने के लिए कहा जाता है. लेकिन गर्म चाय पीते हुए सावधानी न बरती जाए तो यह जीभ और मुंह की बाकि त्वचा को जला देती हैं. लेकिन कुछ लोग गर्मागर्म चाय को कुछ सैंकेड या मिनटों में खत्म कर देते हैं. क्या उनकी जीभ नहीं जलती है. गर्म चाय एक व्यक्ति की जीभ जला दे और दूसरे को नुकसान न हो. ऐसा क्यों होता है. यही जानने की कोशिश करते हैं. 


इसलिए नहीं जलती है जीभ
चाय पीने के दौरान सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. जानकारों का कहना है कि कुछ लोग तेज गर्म चाय पीते हैं. उनकी जीभ नहीं जल पाती है. इसके पीछे लॉजिक है. दरअसल, प्रत्येक घूंट लेने से पहले 8-10 सेकंड के लिए कॉफी की सतह पर फूंक मारते हैं. उतनी तेजी से वह चाय को शिप करते हैं. चाय पीने और पफूंक मारने की प्रक्रिया इतनी तेज होती है. मुंह के अंदर जाते ही चाय कापफी हद तक ठंडी हो जाती है. इससे जीभ और मुंह का अन्य हिस्सा जल नहीं पाता है. 


अकसर लोगों की जीभ क्यों जल जाती है?
जिस तरह लोगों की जीभ न जलने के पीछे लॉजिक है. वहीं, लोगों की जीभ गर्म चाय से जल जाती है. इसके पीछे भी जानकारों के अलग तर्क हैं. उनका कहना है कि जीभ के टिश्यू मुलायम होते है. मुंह की अन्य त्वचा भी उतनी हार्ड नहीं होती है. गर्म चाय पीने के दौरान लोग उसे ठंडा करना भूल जाते हैं. न ही पफूंक मारते हैं और न अन्य विधि से ठंड करते हैं. चाय की गर्म शिप मुंह में चली जाती है और यही गर्म चाय मुंह को जला देती है. 


बचाव के लिए क्या करें
यदि गर्म चाय से जीभ या मुंह का अन्य हिस्सा जल जाता है इससे जरूरी उपाय अपनाकर राहत भी पाई जा सकती है. मसलन, मुंह में तुरंत ही कोई आईसक्रीम या आइसक्यूब का प्रयोग किया जा सकता है. इसका लाभ यह होगा कि गर्मी से मुंह के टिश्यू को जो नुकसान होने वाला है. वह रुक जाएगा. शहद एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फेक्शन से भरपूर होता है. निगलने से पहले से मुंह में सही ढंग से घुमा लें. इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएं. विशेषज्ञों का कहना है कि 12 महीने से कम उम्र के बच्चों को शहद देने से बचना चाहिए. यह खतरनाक हो सकता है. चीनी का प्रयोग भी जले से हुए बचाव में किया जा सकता है. जैसे ही चीनी घुलती है. दर्द खत्म होने लगता है. यह जीभ में मौजूद टेस्ट वाहिनयों का तेजी से सक्रिय करता है.  


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