एक सर्वे में किशोरों को लेकर चौंकाने वाला दावा किया गया है. इस सर्वे में कहा गया है कि किशोर, खासतौर पर लड़कियां सबसे ज्यादा खराब मेंटल हेल्थ का सामना कर रही हैं. उन्हें बाकियों के मुकाबले कई बुरी और कठिन स्थितियों को झेलना पड़ रहा है. यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अपने इस सर्वे में किशोरों की मेंटल हेल्थ को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में बताया.   


सीडीसी ने सोमवार को अपना बाईएनुअल यूथ रिस्क बिहेवियर सर्वे जारी किया. इस सर्वे में किशोरों को परेशान करने वाली वास्तविकता को साझा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 महामारी और इसकी वजह से लगे लॉकडाउन ने पूरी दुनिया के किशोरों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. सर्वेक्षण से मालूम चला है कि पिछले 10 सालों में हाई स्कूलर्स के बीच खराब मेंटल हेल्थ को दर्शाने वाले संकेतकों की तेजी से वृद्धि हुई है. इसमें सुसाइड करने का विचार भी शामिल है. 


आत्महत्या के विचारों में वृद्धि!


उन छात्रों में डिप्रेशन, चिंता और आत्महत्या के विचारों की दरों में वृद्धि देखी गई है, जो महिला हैं और LGBTQ+ कम्युनिटी से संबंधित हैं. ज्यादातर किशोर लड़कियों (लगभग 57 प्रतिशत) ने साल 2021 में निराश और उदास महसूस किया, जो किशोर लड़कों (29 प्रतिशत) की तुलना में दोगुनी हैं. यानी कि तीन किशोर लड़कियों में से एक ने सुसाइड करने के बारे में सोचा. इसके साथ-साथ LGBTQ+  कम्युनिटी के छात्रों (52 प्रतिशत) ने भी खराब मेंटल हेल्थ का अनुभव किया है, यानी कि पिछले साल पांच में से एक से ज्यादा ने आत्महत्या की कोशिश की. 


कई छात्रों ने की सुसाइड की कोशिश


सुरक्षा चिंताओं की वजह से स्कूल नहीं जाने वाले छात्रों, यौन हिंसा को झेलने वाली लड़कियों और ऑनलाइन बुलिंग का अनुभव करने वाले पुरुष छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. इस सीडीसी अध्ययन के लेखकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ये तनाव छात्रों के जीवन को कई तरह से प्रभावित कर रहे हैं. हाई स्कूल के 40 प्रतिशत से ज्यादा छात्रों ने कहा कि उदासी या निराशा की भावनाओं ने उन्हें अपनी रेगुलर एक्टिविटीज़ में शामिल होने से रोका. जबकि 18% ने यह माना कि उन्होंने पिछले साल आत्महत्या करने की प्लानिंग की थी. वहीं, 10 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल के दौरान कई बार आत्महत्या का प्रयास किया था. 


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