नई दिल्ली: इस सप्ताह शुरू हो रही बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर आऐ एक नए स्टडी में दावा किया गया है कि परीक्षाएं शुरू होने से एक सप्ताह पहले टेंशन (तनाव) हाई लेवल पर पर होता है. स्टडी में कहा गया है, ‘‘एग्जाम से एक महीने पहले महज 13 फीसदी विद्यार्थियों में तनाव चरम पर था. जबकि परीक्षा के एक सप्ताह पहले यह बढ़कर 82.2 फीसदी के चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया.’’
स्टडी के अनुसार एग्जाम के दौरान का तनाव खतरनाक हो सकता है. क्योंकि यह विद्यार्थियों को मेंटल और फिजिकल दोनों रूप में प्रभावित करता है. एग्जाम के दौरान वे ठीक से भोजन नहीं करते और न हीं सफाई का खास ख्याल रखते हैं.’’
इस स्टडी में कहा गया है, ‘‘एग्जाम का टेंशन ना सिर्फ दिमाग को प्रभावित करता है बल्कि दिल की धड़कनों में भी इससे फर्क आता है तो खतरनाक है. इसके अलावा ज्यादातर विद्यार्थियों की भूख खत्म हो जाती है और एग्जमा के दौरान वे खुद की सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं.’’ बेंगलुरू की ऑनलाइन काउंसलिंग संस्था ‘योरदोस्त डॉट कॉम’ द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, परीक्षा के दौरान माता-पिता की आकांक्षाएं और अन्य परीक्षाओं में कम अंक आना तनाव के प्रमुख कारणों में शामिल है.
स्टडी में यह भी कहा गया है, ‘‘सर्वे के दौरान 16 साल के एक विद्यार्थी अपने माता-पिता की आकांक्षाओं के कारण तनाव में था, जबकि 17 साल का एक विद्यार्थी को पिछली परीक्षाओं में कम अंक मिलने के कारण टेंशन था.’’ साइक्लॉजिस्ट सुषमा हेब्बार का कहना है कि विद्यार्थियों के लिए समय सारिणी (टाइम टेबल) बनाना और एक ही तरीके से पढ़ाई करते रहना जरूरी है.