जिस दिन चला पता...उसी दिन हो गया 'फेफड़े के कैंसर' का इलाज, महिला बोली- यकीन ही नहीं हो रहा
एप्रिल को फॉलो-अप टेस्ट के लिए टेक्सास हेल्थ हैरिस मेथोडिस्ट हॉस्पिटल बुलाया गया था. फेफड़े की बायोप्सी के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि फेफड़े में बना ट्यूमर शुरुआती स्टेज का कैंसर था.
अमेरिका के एक राज्य से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. दरअसल टेक्सास राज्य में एक बुजुर्ग महिला को जिस दिन यह पता चला कि उन्हें कैंसर है, उसी दिन डॉक्टर ने इलाज करके पूरी तरह से ठीक भी कर दिया. सुनने में शायद आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा. लेकिन ये कोई कहानी नहीं है, बल्कि सच्चाई है. 61 साल की एप्रिल बौद्रेयू के फेफड़े में एक ट्यूमर का पता चला था. बौद्रेयू पहले भी तीन बार कैंसर के इलाज से गुजर चुकी हैं. वो 1984 और 1985 में हॉजकिन लिंफोमा से दो बार और 2002 में ब्रेस्ट कैंसर से लड़ चुकी हैं.
हालांकि एक बार फिर जब उन्होंने अपने फेफड़े में कैंसर के ट्यूमर के बारे में सुना तो वो दंग रह गईं. एप्रिल का पिछले साल एनुअल सीटी स्कैन किया गया था, जिसमें सामने आया कि उनके दाहिने फेफड़े में एक खतरनाक गांठ यानी ट्यूमर है. जिस समय डॉक्टरों ने फेफड़े में कैंसर का पता लगाया, उस समय बौद्रेयू की बायोप्सी चल रही थी. जैसे ही कैंसर का मालूम चला, डॉक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया और इस ट्यूमर को हटा दिया.
फेफड़े में था ट्यूमर
एप्रिल को फॉलो-अप टेस्ट के लिए टेक्सास हेल्थ हैरिस मेथोडिस्ट हॉस्पिटल बुलाया गया था. फेफड़े की बायोप्सी के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि फेफड़े में बना ट्यूमर शुरुआती स्टेज का कैंसर था. चूंकि बीमारी का शुरू में ही पता चल गया था, इसलिए डॉक्टर तुरंत हरकत में आए और कैंसर ट्यूमर को हटाने का फैसला किया. वो भी उस समय जब बौद्रेयू लोकल एनेस्थीसिया में थी. बौद्रेयू का ट्यूमर निकालने के लिए मेडिकल टीम ने एक नई मिनिमली इनवेसिव थोरैसिक सर्जरी टेक्नीक का इस्तेमाल किया. ये टेक्नीक फेफड़ों में कठिनाई वाली जगहों पर टारगेट तक पहुंचने के लिए रोबोटिकली गाइडेड यानी अल्ट्रा-थिन कैथेटर का इस्तेमाल करती है.
बिना रेडिएशन और कीमो के हो गया इलाज
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, एप्रिल बौद्रेयू ने कहा, 'आप विश्वास नहीं कर सकते कि यह सच है. यह सब इतना आसान था कि बिना किसी रेडिएशन या कीमो के इलाज हो गया.' डॉक्टरों ने बौद्रेयू के ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर को हटाने के लिए साइड से पांच छोटे चीरे लगाए. बौद्रेयू ने आगे कहा, 'मैंने तीन दिनों तक दर्द की गोलियां खाईं थीं. मुझे बस इतना ही चाहिए था कि तीन दिनों के अंदर मैं ठीक हो जाऊं और मैं हो भी गई. मुझे विश्वास नहीं हो रहा.' डॉक्टरों ने एप्रिल को हर 6 महीने में सीटी स्कैन कराने की सलाह दी है, ताकि बीमारी का शुरुआती समय में ही इलाज किया जा सके. बता दें कि फेफड़े का कैंसर पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों की एक प्रमुख वजह है.
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