नई दिल्ली: देश में लगभग 1.44 करोड़ बच्चे अधिक वजन वाले हैं. मोटापा कई स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण है और विश्व स्तर पर लगभग दो अरब बच्चे और वयस्क इस तरह की समस्याओं से पीड़ित हैं. आईएमए का कहना है कि आजकल बच्चों में मोटापे की वृद्धि दर वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक है.


क्या कहते हैं आंकड़े-
आंकड़े बताते हैं मोटे बच्चों के मामले में चीन के बाद दुनिया में भारत का दूसरा नंबर है. बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई को माप कर बचपन में मोटापे की पहचान की जा सकती है. 85 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक बीएमआई वाले बच्चे मोटापे से ग्रस्त माने जाते हैं. ओवरवेट और मोटापे से ग्रस्त बच्चे अपेक्षाकृत कम उम्र में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे डायबिटीज और हार्ट डिजीज की चपेट में आ सकते हैं.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
इस बारे में बताते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पहृश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि दुनियाभर के बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. बच्चों में अधिक वजन और मोटापे का प्रसार लगातार बढ़ रहा है. अनहेल्दी फूड, फैट, शुगर और नमक की अधिकता और टीवी, इंटरनेट, कंप्यूटर व मोबाइल गेम्स में अधिक लगे रहने से आउटडोर खेल उपेक्षित हुए हैं. बचपन के मोटापे से ग्रस्त बच्चों में बड़े होकर भी अनेक समस्याएं बनी रहती हैं. बचपन में अधिक वजन और मोटापा अन्य जीवनशैली विकारों जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, डिस्लेपिडाइमिया, मेटाबोलिक सिंड्रोम आदि को जन्म दे सकता है. इसलिए, बच्चों में मोटापे को रोकने और नियंत्रित करने की आवश्यकता है."


मोटापे के कारण हो सकती हैं ये बीमारियां-
मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों में स्लीप एपनिया जैसे रोग और सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं अधिक हो सकती हैं, जिससे उन्हें आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है.


अनहेल्दी आदतों से ऐसे निपटें-




  • शुरुआत में ही स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करें.

  • कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ कम ही दें. उच्च वसायुक्त और उच्च चीनी या नमकीन वाले नाश्ते को सीमित ही रखें.

  • बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने का महत्व बताएं.

  • प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की तेज शारीरिक गतिविधि में बच्चों को भी शरीक करें.

  • बच्चों को अधिक समय तक एक स्थान पर बैठने से रोकें.

  • बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.