ट्रांसजेंडर्स की सर्जरी का एक खौफनाक सच सामने आया है. दरअसल, हाल ही 'जेंडर डिस्फोरिया' को लेकर डेली मेल पर एक रिपोर्ट छपी है. कई लोगों को पता है लेकिन जिन्हें नहीं पता है उन्हें बता देते हैं कि जेंडर डिस्फेरिया का मतलब होता है. ऐसे लोग जिन्हें यह महसूस होता है कि उनका जो नैचुरल जेंडर है वह उनकी फिजिकल पहचान से मेल नहीं खाता है. यानि जिस जेंडर के साथ आपने जन्म लिया है वह आपकी पर्सनालिटी से मेल नहीं खा रही है.  ऐसे लोग जेंडर चेंज करने के लिए सर्जरी का सहारा लेते हैं.


डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 'जेंडर डिस्फोरिया' से पीड़ित लोग जेंडर चेंज करने के लिए सर्जरी तो करवा लेते हैं लेकिन ऑपरेशन के बाद भी उन्हें कई तरह कि शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस रिपोर्ट में एक सर्वे का भी जिक्र किया गया है जिसमें बताया गया कि 16 प्रतिशत यानि 6  में से एक ने जेंडर चेंज करने के लिए ऑपरेशन का सहारा लिया है. लेकिन ऑपरेशन के बाद भी उन्हें काफी ज्यादा मुश्किलें और दर्द का सामना करना पड़ा रहा है. 


क्या कहता है रिसर्च


रिसर्च बताते हैं कि आधे से अधिक ट्रांस पुरुष और महिलाएं ऑपरेशन के बाद दूसरी तरह की शारीरिक जानलेवा दिक्कतों और दर्द से इतने गंभीर रूप से पीड़ित हैं कि उन्हें महीनों तक डॉक्टरी इलाज का सहारा लेना पड़ता है. फिर भी वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो रही है. 


ट्रांसजेंडर्स की सर्जरी का खौफनाक सच


यह ऑपरेशन काफी ज्यादा कठिन होता है क्योंकि इसमें शरीर के अन्य अंगों की नसों, धमनियों, मांसपेशियों और त्वचा का उपयोग करके विपरीत लिंग के जननांगों को तैयार किया जाता है. सर्जनों के लिए यह ऑपरेशन करना काफी मुश्किल से भर होता है क्योंकि इसमें कई तरह के ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करना होता है. जोकि काफी ज्यादा नाजुक होते हैं साथ ही शरीर के ब्लड वैसेल्स, नसों के नेटवर्क ठीक से रहे इसका भी ध्यान रखना होता है. टॉयलेट पास होने में कोई दिक्कत न हो या फ्यूचर में इरेक्शन में कोई दिक्कत न हो इसलिए भी सारे नर्व्स का खास ध्यान रखा जाता है. इसलिए यह सर्जरी काफी कठिन माना जाता है.  


लिंग परिवर्तन सर्जरी के केसेस हाल के सालों में बढ़ी है. सर्वे के मुताबिक अमेरिका में छह ट्रांस जेंडरों में से एक ने लिंग-परिवर्तन सर्जरी का ऑप्शन चुना है. साल 2006 से लेकर 2011 के बीच 84 प्रतिशत ट्रांसजेंडर ने सर्जरी का फैसला लिया. लेकिन जो इस सर्जरी से गुजरते हैं वह ऑपरेशन के बाद भी काफी दर्द में अपनी जिंदगी गुजारते हैं. 


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