जब किसी भी घर में पता चलता है कि नन्हा मेहमान आने वाला है तो घर में हर तरफ उसी लेकर काफी ज्यादा एक्साइटमेंट होती है. घर के बड़े-बुजुर्ग कहते कि गर्भवती महिला के लक्षणों को देखकर बता सकते हैं कि गर्भ में लड़का है या लड़की. आइए हम विस्तार से जानें.


कुछ ऐसे लड़का-लड़की का चलता है पता


दरअसल, जब बच्चा गर्भ में रहता है तो अक्सर अनुमान लगाया जाता है कि पेट में लड़का है या लड़की. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मेडिकल साइंस यह सभी बातों को बिल्कुल दिकयानूसी मानती है. मेडिकल साइंस के मुताबिक गर्भ में लड़का है या लड़की यह पूरी तरह से पुरुष के क्रोमोसोम पर निर्भर करता है. 


गर्भवती महिला के गर्भ में मौजूद बच्चे का जेंडर पूरी तरह से पुरुष के क्रोमोसोम के द्वारा तय होता है. हर किसी के पास 23 क्रोमोसोम का पेयर होता है. महिला के क्रोमोसोम XX होते हैं. वहीं पुरुष के क्रोमोसोम XY होते हैं.  जब महिला का X और पुरुष का Y क्रोमोसोम से मिलता है तो XY कोमोसोम बनता है. इससे लड़के का जन्म होता है. इसका साफ अर्थ है कि किसी भी नवजात शिशु का जेंडर लड़का या लड़की पुरुष पर निर्भर करता है. 


प्रेग्नेंसी के 18-20 सप्ताह के अल्ट्रासाउंड में जेंडर का पता चल जाता है. , जिसे एनाटॉमी स्कैन के नाम से भी जाना जाता है. भ्रूण के विकास के दौरान यह वह बिंदु होता है जब जननांगों को आम तौर पर देखा जाता है और "लड़का" या "लड़की" शब्द को बेहद गुप्त रखा जाता है. सेल-फ्री डीएनए प्रीनेटल स्क्रीनिंग कहा जाता है जो गर्भावस्था के 10 सप्ताह की शुरुआत में ही यह जांच कर लेता है कि बच्चे में कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं है.  इसमें जेंडर को लेकर टेस्ट किया जाता है. जिन्हें एक्स और वाई के नाम से भी जाना जाता है, जो शरीर के विकास और कार्य में भूमिका निभाते हैं. XX क्रोमोसोम वाले लोगों को जन्म के समय लड़की माना जाता है, और XY क्रोमोसोम वाले लोगों को लड़का माना जाता है. 


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सिर्फ जेंडर क्रोमोसोम ही किसी व्यक्ति का जेंडर निर्धारण नहीं करते हैं. दूसरे क्रोमोसोम हार्मोन रिसेप्टर्स, तंत्रिका मार्ग, प्रजनन अंग और पर्यावरणीय कारक भी लिंग निर्धारण में योगदान करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे ऑर्केस्ट्रा अपने वाद्य यंत्रों के समूह के साथ करता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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