Rectal Cancer: हमारे शरीर में कोशिकाओं का लगातार विभाजन होता रहता है और यह सामान्य सी प्रक्रिया है जिस पर शरीर का पूरा कंट्रोल रहता है. लेकिन जब शरीर के किसी खास अंग की कोशिकाओं पर शरीर का कंट्रोल नहीं रहता है और वह सामान्य रूप से बढ़ने लगता है तो उसे कैंसर कहते हैं. अगर आप को कैंसर है तो इसका मतलब है कि आपके शरीर की कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ रही है. यह शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती है कैंसर खुद को हलके लक्षणों में भी पेश कर सकता है जिसे गलत समझा जा सकता है या कुछ गंभीर ना होने के संकेत में रूप में अक्सर हम उसे खारिज कर देते हैं. 43 साल के माइकल मिलर के साथ भी ऐसा ही हुआ जिनके कैंसर में सर्दी जैसे लक्षण दिखाई देने लगे थे और उन्होंने उसे गंभीरता से नहीं लिया.


ठंड लगने से हुई कैंसर की शुरुआत


मिलर बताते हैं कि कैंसर की शुरुआत बुखार और ठंड लगने के साथ शुरू हुआ, लेकिन अक्सर ऐसा होता था और यह खत्म हो जाता था, इसलिए उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया. अचानक फिर उनके पीठ में दर्द होने लगा जिसके बाद वह एक कैरोप्रैक्टर के पास गए. इस समस्या में कैरोप्रैक्टर ने उनकी मदद तो की लेकिन कुछ ही हफ्ते बाद वो और ज्यादा बीमार हो गए और एक दिन तो ऐसा हुआ कि कमजोरी की वजह से वो लिविंग रूम में गिर गए.मिलर ने अपनी ऐसी स्थिति को डॉक्टर से साझा किया, जिसके बाद एक इवैल्यूएशन के बाद पता चला कि उनकी रीढ़ की हड्डी में फोड़ा था. शुरुआत में डायग्नोसिस से कुछ भी क्लियर नहीं हो पा रहा था, लेकिन इतना पता था कि उन्हें सेप्सिस था जो उनकी रीढ़ की हड्डी तक फैल चुका था.


मिलर के डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि यह संक्रमण मिलर की पूरी रीढ़ में था खोपड़ी के आधार से टेलबॉन तक यह संक्रमण फैला हुआ था, ऐसे में डॉक्टर को लिगामेंट और हड्डी को सही रखते हुए संक्रमण को निकालना था, डॉक्टर बताते हैं कि मिलर की रीढ़ की हड्डी को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच सकता था. ड़ॉक्टर ने मिलर की सर्जरी की, जिसके बाद मिलर बताते हैं कि सर्जरी के बाद वह हिलने डुलने तक में असमर्थ थे.. वह लगभग डेढ़ सप्ताह तक आईसीयू में रहे, पूरी तरह से वह लकवा ग्रस्त हो चुके थे.


फोर्थ स्टेज रेक्टल कैंसर से पीड़ित थे मिलर


एंडोस्कोपी और सिटी इमैजिनेशन सहित कई अन्य इवैल्यूएशन से पता चला कि मिलर को फोर्थ स्टेज रेक्टल कैंसर ( Rectal Cancer) था जिसे कोलोरेक्टल या आंत्र कैंसर भी कहा जाता है.इस कैंसर की वजह से उन्हें मल त्यागने में भी परेशानी हो रही थी, जिस वजह से डॉक्टर को कॉलोस्टोमी करना पड़ा, इस ऑपरेशन के बाद मिलर की केमोथेरपी शुरू की गई. आखिरकार 11 महीने के बाद मिलर अब जटिलताओं से लगभग पूरी तरीके से ठीक हो गए हैं और कैंसर के दोबारा से होने का कोई सबूत नहीं बचा है.


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