बच्चों में यह बदलाव संकेत देते हैं कि वह है डिप्रेशन के शिकार, जानें इसे कैसे समझें?
डिप्रेशन बच्चों के स्वास्थ्य और विकास के लिए हानिकारक है. इसलिए माता-पिता और शिक्षकों को सजग रहना होगा. आइए जानते हैं कि कैसे पहचाने की बच्चे डिप्रेशन के शिकार हैं...
World Mental Health Day 2023: बच्चों में डिप्रेशन एक गंभीर समस्या के रूप में उभ रहा है. डिप्रेशन के मामले बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं. कई अध्ययनों से पता चला है कि पिछले कुछ वर्षों में बच्चों व किशोरों में डिप्रेशन के मामले दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं. 10 से 14 आयु वर्ग के बच्चों में डिप्रेशन के मामले पिछले 5-6 सालों में लगभग दोगुने हो गए हैं. यह चिंताजनक परिस्थिति बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है.आइए समझते हैं कि बच्चों में डिप्रेशन बढ़ने के क्या कारण हैं और इससे निपटने के उपाय..
जानें क्यों हो रहे हैं बच्चे डिप्रेशन के शिकार
आजकल के तेजी से जीवनशैली और बदलते परिवेश के कारण बच्चों पर भी मानसिक दबाव बढ़ रहा है. इसके अलावा अत्यधिक मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल भी बच्चों को प्रभावित कर रहा है.तनावपूर्ण परिवारिक माहौल और खुद को अलग-थलग महसूस करना, स्कूल में पढ़ाई का बोझ और परीक्षाओं का डर, बच्चों की भावनात्मक जरूरतों की उपेक्षा, सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल, बुलिंग और प्रताड़ना आदि का शिकार होना. बच्चों को डिप्रेशन का शिकार बना रहा है.
बच्चों में डिप्रेशन कुछ खास लक्षणों से पहचाना जा सकता है.
- रोज की गतिविधियों में रुचि की कमी - खेलना, पढ़ना आदि में मन नहीं लगता
- निराशा और उदासी के भाव - हमेशा दुखी और निराश रहना
- थकान और ऊर्जा की कमी - स्कूल जाने से मना करना
- नींद और भूख में बदलाव - ज्यादा या कम नींद और भूख लगना
- क्रोध और रोने की प्रवृत्ति - छोटी बात पर रोना या गुस्सा
- सामाजिक प्रभावों से दूरी - दोस्तों से मिलने में मन ना करना
- ध्यान की कमी - स्कूल काम में मन ना लगना
- यदि ये लक्षण 2 सप्ताह से ज्यादा बने रहें तो बच्चे को डिप्रेशन हो सकता है.
जानें कैसे बच्चों को डिप्रेशन से बाहर निकाला जा सकता है
- बच्चे की बात ध्यान से सुनें और उसे समझने का प्रयास करें.
- बच्चे को प्यार और सकारात्मकता का वातावरण दें. उसकी उपलब्धियों की प्रशंसा करें.
- बच्चे को दैनिक रूटीन बनाने में मदद करें जैसे नियमित रूप से खेलना, पढ़ना व खाना.
- बच्चे को परिवार और दोस्तों के साथ रहने के लिए प्रोत्साहित करें.
- बच्चे को एक्सरसाइज़, योग और मेडिटेशन करने के लिए कहें.
- आवश्यकता हो तो डॉक्टर से परामर्श लें और उपचार शुरू करें.
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