महिलाओं में अधिक होता है थॉयरायड डिस्ऑर्डर-
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थॉयरायड डिस्ऑर्डर होने की आशंका 80% ज्यादा होती है, जिसकी वजह से शरीर में होने वाले बहुत सारे हार्मोन के बदलाव हैं. महिलाओं में आयोडीन की कमी होने की आशंका ज्यादा होती है, जिस वजह से उनमें थॉयरायड के डिस्ऑर्डर हो सकता है.
थॉयरायड ग्रंथि का काम-
इस बारे में आईएमएके अध्यक्ष डॉ के.के. अग्रवाल का कहना है कि थॉयरायड ग्रंथि शरीर में डायजेस्टिव प्रोसेस को बैलेंस्ड करने में अहम भूमिका निभाती है. इससे निकलने वाले हार्मोन शरीर का टेम्परेचर बैलेंस्ड रखने, ब्रेन को हेल्दी रखने, हार्ट को सही तरह से पंप करने और सभी अंगों में का सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है.
थॉयरायड डिस्ऑर्डर होते हैं दो तरह के-
जब थॉयरायड डिस्ऑर्डर हो जाता है तो या तो यह ग्रंथि ज्यादा काम करने लगती है- जिससे हायपरथॉयरायडिज्म या फिर कम काम करने से हाईपोथॉयरायडिज्म हो जाता है. हाईपोथॉयरायडिज्म आम तौर ज्यादा होता है और कोलेस्ट्रोल और हार्ट प्रॉब्लम्स बढ़ाने का कारण बन सकता है."
कैसे पता लगाएं थॉयरायड डिस्ऑर्डर का-
थॉयरायड डिस्ऑर्डर का जल्दी पता लगने से रोकथाम के कदम उठाने में मदद मिलती है, चाहे वो दवाओं के जरिए हो या लाइफस्टाइल में बदलाव. इसके सिम्टम्स बहुत ही छोटे होते हैं और इनको एकदम समझ पाना मुश्किल होता है. सबसे बेहतर तरीका है ब्लड के जरिए टीएचएच लेवल की जांच करना.
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि कुछ लोगों में थॉयरायड रोग की आशंका ज्यादा होती है जिनमें शामिल हैं डायबिटीज पेशेंट, वीक इम्यून सिस्टम वाले लोग, फैमिली हिस्ट्री में थॉयरायड होना, हार्मोन में बदलाव- प्रेग्नेंसी या मीनोपोज होना और बढ़ती उम्र. यह जरूरी है कि मीनोपोज होने के बाद और मीनोपोज के करीब वाली महिलाएं अपने थॉयरायड की जांच जरूर करवाएं.
हाईपोथॉयरायडिजम के सिम्टम्स-
- बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान
- वजन बढ़ना
- ठंड बर्दाश्त न होना
- ड्राई और सॉफ्ट हेयर
- याददाश्त की समस्या
- चिड़चिड़ापन और टेंशन
- ज्यादा कोलेस्ट्रोल
- दिल की धड़कन कम होना
- कब्ज
हायपरथॉयरायडिज्म के संकेत-
- वजन कम होना
- गर्मी बर्दाश्त न होना
- पेट में बार-बार गड़बड़ी
- कंपकंपी
- घबराहट और चिड़चिड़ापन
- थॉयरायड ग्रंथि का बढ़ जाना
- नींद में गड़बड़ी
- थकान