किफायती, आसानी से उपलब्ध सूजन रोधी ओरल दवा कोविड-19 के मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत और कुछ में मौत के खतरे को कम कर सकती है. कोरोना वायरस की संक्रामक दूसरी लहर के बीच विशेषज्ञों ने रिसर्च के हवाले से बड़ा दावा किया है. कोरोना वायरस आम तौर से शरीर में नाक, मुंह, आंख के जरिए दाखिल होता है और लंग्स पर सीधे हमला करता है जिससे सांस लेने में गंभीर समस्या होती है.


कोविड-19 के खिलाफ ओरल दवा पर बड़ा दावा


वर्तमान में कोल्चिसीन नामक दवा फेमिलियल मेडीट्रेनियन फीवर, गठिया और पेरिकार्डिटिस के इलाज में लिखी जाती है. वैज्ञानिक पत्रिका दि लांसेट रेस्पेरेट्री मेडिसीन में प्रकाशित नतीजों से खुलासा हुआ कि दवा को जटिलता के खतरे वाले लोगों में इलाज के तौर पर समझा जा सकता है. आपको बता दें कि फेमिलियल मेडीट्रेनियन फीवर एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें बार बार बुखार आता है और साथ में पेट, जोड़ो में दर्द के अलावा सूजन भी होता है. मोंट्रियाल हार्ट इंस्टीट्यूट रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर जीन क्लाउड टार्डिफ ने कहा, "वर्तमान महामारी को देखते हुए टीकाकरण से सामूहिक इम्यूनिटी का इंतजार, कोविड-19 से संक्रमित होनेवाले मरीजों के बीच बीमारी की जटिलताओं को रोकने के लिए इलाज की जरूरत है." उन्होंने ये भी कहा, "हमारे रिसर्च में पता चला कि कोल्चिसीन का इस्तेमाल कोविड-19 से संक्रमित कुछ मरीजों की जटिलताओं के खतरे को कम करने के लिए किया जा सकता है." शोधकर्ताओं ने कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, अमेरिका और कनाडा में मानव परीक्षण के लिए प्लेसेबो और ओरल दवा का इस्तेमाल किया.


अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कर सकती है कम


उन्होंने परीक्षण शुरू करने के समय कोविड-19 से पीड़ित 40 पार उम्र वाले 4,488 मरीजों को शामिल किया. उनमें कम से कम कोविड-19 की जटिलता बढ़ानेवाला एक जोखिम कारक जैसे डायबिटीज, हाइपरटेशन, मोटापा की पहचान हुई. मरीजों को बेतरतीब तीन दिनों तक रोजाना और उसके बाद रोजाना एक बार 0.5 मिलीग्राम कोल्चिसीन का इस्तेमाल कराया गया और एक ग्रुप को 30 दिनों तक प्लेसेबो दिया गया. नतीजों से पता चला कि जिन लोगों में पीसीआर टेस्ट से कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई थी, दवा के इस्तेमाल से कोविड-19 के लिए अस्पताल में भर्ती होने या मौत दोनों का खतरा करीब 25 फीसद कम हो गया. बीमारी का कम से कम एक जोखिम कारक वाले 40 से ज्यादा की उम्र पर पुरुषों में सबसे स्पष्ट फायदा देखा गया, जिनको कोविड-19 से होनेवाली जटिलताओं का महिलाओं के मुकाबले ज्यादा खतरा है. कोल्चिसीन ग्रुप के 4.9 फीसद मरीजों में प्रतिकूल प्रभाव दर्ज किए गए जबकि प्लेसेबो ग्रुप में प्रतिकूल प्रभाव का सामना करनेवाले मरीजों की संख्या 6.3 फीसद रही. शोधकर्ताओं ने हालांकि ये भी कहा कि नतीजे अंतिम निष्कर्ष नहीं हैं और आगे रिसर्च करने की जरूरत है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीकों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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