लीची (लीची चिनेंसिस) एक सीजनल फल है जिसकी खेती कई देशों में की जाती है. इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं. जो देखने और स्वाद में बहुत अच्छे होते हैं. लीची का आकार और चमकदार छिलका, मीठा, रसदार और गूदा से भरपूर होता है. लीची में हाई लेवल का एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो सेल्स को खराब होने से बचाते हैं. साथ ही साथ गंभीर बीमारियों के जोखिम से भी बचाते हैं. 


लीची के गूदा में होते हैं कई पोषक तत्व


लीची के गूदा में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होता है जो विटामिनों से भरपूर होता है. चीन में पुराने जमानों से लीची का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता था. लीची का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला देश चीन है. साथ ही साथ इसकी खेती साउथ एशियन रीजन में काफी ज्यादा होता है. एशिया के देश भारत, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में लीची की खेती की जाती है. 


लीची को खाने से पहले इस कारण पानी में भिगोकर रखा जाता है


लीची खाली पेट खाने से आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकती है. क्योंकि इसमें हाइपोग्लाइसीन ए और मेथीलीन साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसिन (एमसीपीजी) मौजूद होते हैं. जो ब्लड में शुगर लेवल को कम करने लगता है. लीची गर्मियों में मिलने वाले फलों में से एक फल है.


NIH के अनुसार लीची की तासीर गर्म होती है इसलिए इसे खाने से पहले पानी में भिगोकर रखा जाता है. अगर आप इसे डायरेक्ट खा लेंगे तो यह आपके पेट की गर्मी को बढ़ा सकती है. जिससे शरीर में दाने भी निकल सकते हैं. इससे पेट भी खराब हो सकता है. कुछ लोग तो इसका इंतजार पूरे साल करते हैं वहीं कुछ लोग इसे खाना पसंद नहीं करते क्योंकि बिहार में इसे खाने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है. 


ज्यादा लीची पेट में मचा सकती है गड़बड़ी


लीची में भरपूर मात्रा में पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिन ई, आयरन, फाइबर, मैग्नीज, फॉस्फोरस, एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं. इसके कारण मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. मेटाबॉलिज्म एक केमिकल प्रोसेस है जो खानपान को एनर्जी में कन्वर्ट करती है. लीची की तासीर गर्म होती है इसलिए एक दिन में 2-3 लीची खाएं जबकि एडल्ट 5-6 लीची एक दिन में खा सकते हैं.


फ्रेश और पकी हुई लाल रंग की लीची खाएं हरी या कच्ची लीची न खाएं क्योंकि इससे आप गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं. लीची को जब भी खाएं तो पानी में भिगोकर ही खाना चाहिए. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी तासीर होती है गर्मी इसमें धर्मोजेनेकि गुण होते हैं जो शरीर के टेंपरेचर को बैलेंस करने का काम करता है. ऐसे में शरीर का मेटाबॉलिज्म भी ठीक रहता है. अगर आप इसे पानी में भिगोकर नहीं खाएंगे तो कब्ज, सिरदर्द और लूज मोशन की शिकायत हो सकती है. आजकल फल-सब्जी उगाने के लिए पेस्टिसाइड्स यानी कीटनाशकों का भरपूर इस्तेमाल होता है. अगर आप ठीक से साफ नहीं करेंगे तो स्किन की प्रॉब्लम हो सकती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


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