इस भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल और खराब खानपान की वजह से जितनी जल्दी बीमारी जकड़ लेती है उतनी ही जल्दी में हमें उन बीमारियों से निजात भी चाहिए. ऐसे में हम बिना समय गवाएं एलोपैथी दवा का चुनाव करते हैं. बात भी सही है एलोपैथी दवा से आपको तुरंत आराम तो मिल जाता है. लेकिन बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती है बल्कि थोड़े वक्त के लिए दब जाती है. लेकिन आगे चलकर वह बीमारी एक खतरनाक रूप में आपके सामने भी फिर प्रकट हो जाती है. तब हमें याद आता है कि जब पहली बार यह हुआ था तो हमने ऐसी दवा ली थी. वहीं दूसरी तरफ आज के समय में भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें होम्योपैथी पर आंख बंद करके विश्वास है. और वह चाहते हैं कि थोड़ा वक्त जरूर लगे लेकिन बीमारी एकदम जड़ से खत्म हो जाए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका रामबाण इलाज होम्योपैथी के पास है. इन बीमारियों में होम्योपैथी ऐसा असर दिखाती है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वहीं एलोपैथी के पास भी इन बीमारियों का सटीक इलाज नहीं है.
होम्योपैथिक की दवा इन बीमारियों में है कारगर
कौन सी है वह बीमारी इन सब के बारे में दिल्ली स्थित होम्योपैथिक के मशहूर डॉक्टर संजय ठाकुर से हमने इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश की. डॉक्टर संजय ठाकुर ने हमें बताया कि होम्योपैथिक दवा किस तरह से असर करेगी यह पूरी तरह निर्भर करता है आपकी बीमारी क्या है? उसके लक्षण आपके शरीर पर किस तरह से दिखाई दे रहे हैं. होम्योपैथी की भाषा में बीमारियों को दो भागों में बांटा गया है. पहला एक्यूट और दूसरा क्रोनिक. एक्यूट बीमारी के अंतर्गत सर्दी-खांसी, जुकाम आते हैं. इन बीमारियों में अगर आप होम्योपैथी की दवा लेते हैं तो इसका असर आपको 1 से 2 दिन के अंदर दिखने लगेगा. वहीं क्रोनिक बीमारी यानि पुरानी बीमारी जैसे-लिवर, किडनी, आंत, गठिया जैसी ऐसी बीमारी जो सालों से आपको परेशान कर रही है. ऐसी बीमारी पर होम्योपैथिक का असर दिखने में 8-10 महीने का वक्त लग जाता है. लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि कई ऐसी क्रोनिक बीमारी है जिसकी सटीक इलाज होम्योपैथी के पास है जो एलोपैथी के पास नहीं है.
होम्योपैथिक में इलाज शुरू से पहले बीमारी इंफेक्शियस या नॉन इंफेक्शियस डिजीज का पता लगाया जाता है
डॉक्टर संजय ठाकुर बताते हैं कि होम्योपैथिक में किसी भी बीमारी का इलाज दो आधार पर किए जाते हैं. बीमारी इंफेक्शियस है या नॉन इंफेक्शियस है. साथ ही जब भी होम्योपैथी के जरिए किसी बीमारी का इलाज किया जाता है. पहले मरीज से उनके बीमारी के संवैधानिक लक्षण पूछे जाते हैं- जैसे पूरे दिन प्यास कितनी बार लगती है, कितना पसीना आ रहा है, रात में बार-बार पसीना आता है. वहीं दूसरी तरफ बीमारी का इलाज सही दिशा में कारगर हो. इसके लिए फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी पूछा जाता है कि कहीं पहले भी यह बीमारी आपके घर में हो चुकी तो नहीं है. फैमिली यह पहले हुई है या नहीं आदि.
डॉक्टर संजय ठाकुर से इस पूरे बातचीत में हमने जब पूछा कि ऐसी भी बीमारी है क्या जिसमें तेजी से असर दिखता है. जिसके सामने एलोपैथी भी फेल है. तो उनका जवाब होम्योपैथी पर विश्वास करने वालों के लिए एक आशा की किरण की तरह काम करेगी. इन बीमारियों में मुख्य है.
फैटी लिवर
साइटिका
माइग्रेन
जोड़ों का दर्द- गठिया
फैटी लिवर
पाइल्स -फिशर
फैटी लिवर- डॉक्टर संजय ठाकुर बताते हैं कि होम्योपैथी के जरिए फैटी लिवर का इलाज मुमकीन है. सबसे पहले तो आप ब्लड टेस्ट या इमेजिंग के जरिए जान सकते हैं कि फैटी लिवर कितना बढ़ा हुआ है. फैटी लिवर को कंट्रोल में करने के लिए लाइफस्टाइल और खानपान तो बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता ही है लेकिन होम्योपैथी के पास भी ऐसी सटीक दवाएं जिससे फैटी लिवर की समस्याओं को से 5-6 दिन में राहत मिलती है. कई बार इस बीमारी में सूजन और मरीज को खिंचाव का अनुभव होता है लेकिन दवा खाने के बाद और सही खानपान के बाद यह समस्या से एक हद तक राहत मिलती है.
साइटिका- साइटिका में पीठ के निचले हिस्से से दर्द शुरू होता है वह साइटिक नस पर दबाव डालता है. इस साइटिका का दर्द कहते हैं. इसमें दर्द अचानक से शुरू होता है और पीठ से होता हुआ टांग के बाहरी और सामने वाले हिस्से तक पहुंच जाता है.
माइग्रेन: सिरदर्द के बहुत सारे प्रकार है. इनमें से माइग्रेन का दर्द काफी ज्यादा खतरनाक होता है. माइग्रेन का दर्द बार-बार होता है. यह दर्द बेहद गंभीर होता है. माइग्रेन का अब तक पता नहीं चल पाया है कि आखिर क्यों होता है. हालांकि डॉक्टर्स का मानना है कि यह एक जेनेटिक बीमारी हो सकती है. माइग्रेन के कई कारण हो सकते हैं. जैसे स्ट्रेस, हार्मोन, इनबैलेंस, शोर-शरावा, तेज गंध, परफ्यूम, नींद पूरी न होना, मौसम में बदलाव, आदि. ज्यादा कैफीन और शराब का इस्तेमाल.
जोड़ों का दर्द- गठिया शरीर में जिस जगह दो हड्डियां मिलती है उसे ज्वाइंट कहते हैं. ज्वाइंट में पेन कई कारणों से हो सकते हैं. लेकिन जिस ज्वाइंट पर हड्डियां टकराने लगे तो उस बीमारी को गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट भी कहते हैं. हड्डियों पर ज्यादा जोड़ पड़ने पर वो कमजोर होने लगते हैं. और यह बीमारी बढ़ने लगती है.
पाइल्स -फिशर होम्योपैथी विशेष रूप से शल्य चिकित्सा से बचने के लिए एक खास पद्धति है. खासतौर पर पाइल्स (बवासीर), फिशर, फिस्टुला के मामलों में सबसे अच्छा विकल्प है. ऐसे कई मामले हैं जिसमें होम्योपैथी के जरिए इन बीमारियों का निपटारा किया गया है. ये सब ऐसी बीमारी है जिनमें होम्योपैथी के जरिए इलाज किया जाता है. और रिजल्ट ऐसे हैं कि एलोपैथी भी इसके सामने फेल है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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