इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने वैक्सिनेशन और कोरोना संक्रमण को लेकर एक शुरुआती रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले ली थी उनमें से 76 प्रतिशत में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार इन संक्रमित लोगों में से केवल 17 फीसदी ही बिना लक्षण वाले थे, जबकि 10 प्रतिशत लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ी.


रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बेहद कम हो जाती है और जिन 27 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया था उनमें से केवल एक मरीज की मृत्यु का मामला सामने आया. ICMR के इन आंकड़ों से इस बात का भी पता चलता है कि वैक्सीन कोरोना के खिलाफ लड़ने में बेहद कारगर है.


ओडिशा में अलग अलग हेल्थकेयर सेंटर से एक मार्च से दस जून के बीच 361 लोगों के सैम्पल लिए गए थे. इनमें से ज्यादातर मामले वो थे जो कोरोना की दोनों डोज लगा चुके थे. भुवनेश्वर स्थित आईसीएमआर की लैब में जांच के लिए भेजे गए इन सैम्पल में से 274 लोगों को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद के 14 दिन के बाद एंटीबॉडी बनना शुरू होती है. कोरोना पॉजिटिव इन 274 लोगों ने जांच से पहले इस समय को भी पूरा कर लिया था. 


12.8 प्रतिशत ने कोवैक्सीन तो 87.2 फीसदी फीसदी लोगों ने लगवाई थी कोविशील्ड


मेडिकल जर्नल रिसर्च स्कवायर में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, इन 274 कोरोना संक्रमित लोगों में से 12.8 प्रतिशत ने कोवैक्सीन तो 87.2 फीसदी फीसदी लोगों ने कोविशील्ड की दोनों डोज ली थी. कोवैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद संक्रमित हुए लोगों में से 43 फीसदी वो हेल्थकेयर वर्कर्स थे जो देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों खासकर कि कोविड वार्ड में ड्यूटी पर थे. वहीं कोविशील्ड लेने के बाद ऐसे 10 फीसदी हेल्थकेयर वर्कर्स संक्रमित मिले हैं.


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