Watermelon: मीठे तरबूज की पहचान कैसे करें? ऐसे जानें, तरबूज केमिकल से पका है या नहीं
तरबूज खरीदते समय कुछ बातों पर ध्यान दें, आप इंजेक्शन से पकाए गए तरबूज लेने से बच जाएंगे. केमिकल से पकाए गए ये तरबूज शरीर को लाभ देने की जगह बीमार बनाते हैं.
Adulteration In Watermelon: तरबूज गर्मी में सबसे अधिक खाया जाने वाला फल है. लाल, गुलाबी और पीले रंग के तरबूज जितने स्वादिष्ट होते हैं, देखने में भी उतने ही सुदंर लगते हैं. यही वजह है कि इनकी लज्जत देखकर इन्हें खाए बिना रहा नहीं जाता. सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि गर्मी में तरबूज खाने के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं. इनमें से कुछ तो सीधे तौर पर सेहत पर असर करते हैं और कुछ शरीर को अंदर से पुष्टि देकर रोगों से बचाते हैं. इसलिए आपको तरबूज खाने के कुछ फायदे जरूर पता होने चाहिए...
- रोज तरबूज खाने से लू लगने का खतरा कम होता है.
- तरबूज पाचन को बेहतर रखता है.
- इसे खाने से शरीर में पानी कमी पूरी होती है.
- हाइड्रेशन बना रहता है.
- तरबूज का सेवन आंतों की सफाई में सहायक है.
- तरबूज खाने से मन शांत रहता है, बेचैनी दूर होती है और गर्मी के कारण होने वाली मितली की समस्या से बचाव होता है.
- तरबूज शरीर में फाइबर की कमी को पूरा करता है.
- तरबूज खाने से शरीर को कई जरूरी न्यूट्रिऐंट्स मिलते हैं, जो गर्मी से लड़ने की ताकत देते हैं.
- तरबूज का सेवन हीमोग्लोबिन को बेहतर बनाने में मददगार है.
कैसे खरीदें मीठा तरबूज?
तरबूज खरीदने से पहले यह बात जानना जरूरी होता है कि आखिर तरबूज मीठा है या नहीं. तो मीठा तरबूज खरीदने का सबसे पहला तरीका है कि आप इसे एक हाथ में पकड़कर दूसरे हाथ से थपकी मारकर देखें. पके हुए तरबूज में टप-टप जैसी आवाज आती है और कच्चे तरबूज में ढप-ढप जैसी आवाज आती है. यह तरीका है प्लेन छिलके वाले तरबूज को पहचानने का. ये साइज में छोटे होते हैं.
धारीदार तरबूज
अब बात करते हैं उन तरबूज की जिनके ऊपर धारियां होती हैं. तो इन तरबूज में मीठा तरबूज पहचानने की विधि यह है कि आप इसकी गाढ़ी हरी लाइनों के बीच मौजूद हल्की हरी धारियों को देखें. ये कच्चे तरबूज की तुलना में अधिक डार्क और चटक रंग लिए हुए होती हैं. साथ ही गाढ़ी हरी धारियां भी हल्का कालापन लिए हुए होती हैं. जब आप कई तरबूजों के बीच इस विधि से पहचान करते हैं तो आपको फर्क साफ नजर आएगा.
केमिकल युक्त तरबूज की पहचान
केमिकल युक्त तरबूज की पहचान ज्यादातर केस में इसे काटने के बाद ही की जा सकती है...
- रुई से पहचान: तरबूज बेल में पका है या फिर इंग्जेक्शन लगाकर पकाया गया है, इसे जानने के लिए आप एक पीस काटकर उस पर हल्के-हल्के हाथों से रूई का फोहा लगाकर देखें. जो प्राकृतिक रूप से पका हुआ तरबूज होता है, उसका बहुत ही हल्का गुलाबी रंग रूई पर आएगा. जबकि इंग्जेक्शन से पके तरबूज का रंग रूई पर चटख लाल दिखेगा.
- पानी से पहचान: आप एक बर्तन में पानी भरें और तरबूज का एक पीस काटकर इसे पानी में डाल दें. अगर तरबूज तुरंत गाढ़ा रंग छोड़ना शुरू कर देता है तो समझ जाएं कि इसे केमिकल से पकाया गया है. जबकि प्राकृतिक रूप से पका तरबूज देर से रंग छोड़ता है, धीरे-धीरे पानी में घुलता है और हल्का रंग छोड़ता है.
- डंठल से पहचान: जिस हिस्से से तरबूज बेल से जुड़ा होता है, उसे बोलचाल की भाषा में डंठल कहते हैं. जिस तरबूज की डंठल सूखी हुई और काले या भूरे रंग की नजर आए तो समझ जाएं कि वह बेल पर पका है. क्योंकि इंग्जेक्शन से पकाए गए तरबूज की डंठल हरी होती है.
- पीला पैच: यदि तरबूज के छिलके पर कोई पीला और बड़ा-सा पैच यानी निशान नजर आए तो इस बात की काफी संभावना होती है कि यह तरबूज बेल पर पका है. क्योंकि जिस तरफ से तरबूज के छिलके पर पीला निशान होता है, यह इस बात का इशारा होता है कि तरबूज बेल से जुड़ा होने पर इसकी ये साइड धरती पर रखी हुए थी.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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