Tips To Keep Safe Baby During Monsoon: मॉनसून का मौसम आखिर आ ही गया. लोगों को जहां गर्मी से राहत मिली है वहीं इस मौसम में संक्रमण का खतरा भी बना रहता है. जो कि आपके सुखद अहसास को बिगाड़ सकता है. हर किसी को अपना खास खयाल रखने की जरूरत होती है सबसे ज्यादा नए माता-पिता को एहतियात करने की जरूरत होती है, क्यों कि छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है. स्किन सेंसिटिव होती है.ऐसे में इस मौसम में बच्चों को कई तरह की बीमारियों का हो सकता है. आइए जानते हैं इनके बारे में और इससे बचने के उपाय.
शिशु को हो सकती है ये समस्या
1.फंगल इंफेक्शन के कारण बेबी एक्ने की समस्या हो सकती है. इससे त्वचा लाल हो जाती है. त्वचा पर छोटे लाल दाने हो सकते हैं. दाने कंधे, पीठ, बाहों और ठोडी पर हो सकते हैं. अगर साफ सफाई का ध्यान ना दिया जाए तो यह पूरे शरीर में भी फैल सकता है.
2.बरसात के मौसम में बच्चों की स्कैल्प पर पपड़ी जमने की समस्या भी बहुत ज्यादा होती है. इसे क्रैडल कैप के नाम से जाना जाता है.ये कई बार इतनी मोटी हो जाती है कि आसानी से नहीं निकलती है. अगर इसे जबरदस्ती निकाला जाए तो दर्द और खून निकलने की संभावना रहती है.
3.बरसात के मौसम में मलेरिया सबसे आम बीमारियों में से एक है जो नवजात बच्चों को भी प्रभावित करती है. बारिश होने की वजह से नाली या गड्ढे में पानी का जमाव हो जाता है जो मच्छरों के प्रजनन का कारण बनता है. मलेरिया के कारण बुखार, कंपकपी, दर्द, सर्दी जुखाम की समस्या हो जाती है.
4.नैपी रैशेज की समस्या भी हो सकती है. बरसात के दिन में कपड़े में धूप नहीं लग पाती है. कपड़े में नमी रहती है. अगर आप अपने बच्चे को नम कपड़े पहनाते या फिर गीले हाथों से कपड़े या पैंपर पहनाते हैं तो इससे फुनसी रैशेज की समस्या होती है.
5.नवजात को डेंगू की समस्या भी हो सकती है. अगर आप कूलर चलाते हैं तो इसमें मौजूद पानी में बैक्टीरिया पनपते हैं. इससे डेंगू फैलाने वाले मच्छर पैदा होते हैं.इसके कारण नवजात को बुखार, सर्दी जुखाम की समस्या हो सकती है.
ऐसे करें बचाव
- अपने बेबी को नमी वाले कमरे में ना रखें. कूलर की हवा के संपर्क में आने से बचाएं. शिशु के सिर और स्किन को ड्राई रखें.
- नवजात बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए स्तनपान करवाएं. क्योंकि स्तनपान से इम्यूनिटी बढ़ती है और इंफेक्शन का खतरा कम होता है.
- घर में पूरी साफ सफाई रखें. खिड़की दरवाजे बंद रखें ताकि मच्छर और मक्खी से संक्रमण ना फैले. इसके अलावा बच्चे को कभी भी गिले हाथ से ना पकड़े.
- बच्चे को मोटे सूती कपड़ों में ढककर रखें और सुनिश्चित करें कि कपड़े धूप में पूरी तरह से सूखे हों या उपयोग से पहले आयरन किए गए हों.
- अन्य मौसमों की तुलना में डायपर को अधिक बार बदलें. अपने बच्चे को बार-बार डायपर ब्रेक दें और डायपर वाले एरिया को हवा के संपर्क में आने दें.रैशेज दिखे तो तुरंद बेबी पाउडर का इस्तेमाल करें.