अल्जाइमर के जोखिम को कम कर सकते हैं ये टिप्स
ल्जाइमर रोग की पहचान करने के लिए मेमोरी लॉस के लक्षणों की बजाए बायलॉजिकल तरीकों पर गौर करना चाहिए. आपको बता दें, दुनिया भर में 4.4 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं. ऐसे में अल्जाइमर होने के कारणों को समझने और उन पर काम करने की जरूरत है. चलिए जानते हैं हैं उन टिप्स के बारे में जो कर सकते हैं अल्जाइमर के जोखिम को कम करने में मदद.
नई दिल्लीः हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि अल्जाइमर रोग की पहचान करने के लिए मेमोरी लॉस के लक्षणों की बजाए बायलॉजिकल तरीकों पर गौर करना चाहिए. आपको बता दें, दुनिया भर में 4.4 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं. ऐसे में अल्जाइमर होने के कारणों को समझने और उन पर काम करने की जरूरत है. चलिए जानते हैं हैं उन टिप्स के बारे में जो कर सकते हैं अल्जाइमर के जोखिम को कम करने में मदद.
क्या है अल्जाइमर- अल्जाइमर एक प्रोग्रेसिव, डिजेनेरेटिव ब्रेन डिजीज है जो याददाश्त, व्यवहार और सोच को उस लेवल तक प्रभावित करता है, जहां से पीड़ित अतीत की किसी भी घटना को याद करने में सक्षम नहीं हो पाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- डॉ. अग्रवाल का कहना है कि उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होना अकेले एक कारक नहीं है, बल्कि बढ़ती उम्र में व्यक्ति अपने मस्तिष्क का भरपूर प्रयोग नहीं करता जो इसका दूसरा प्रमुख कारण है. इसलिए ऐसे क्रियाकलापों में भाग लेकर दिमाग को सक्रिय रखना महत्वपूर्ण है जिनसे मन और शरीर को तेज रखने में मदद मिलती है. ऐसा करने पर मेमोरी लॉस नहीं होता है.
क्या है अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर- अल्जाइमर रोग हालांकि आम तौर पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होता है, लेकिन यह 40 और 50 की उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है. इस स्थिति को अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर कहते हैं.
अल्जाइइमर का इलाज- सबसे पहले बिना दवाओं के जो विकल्प मौजूद हैं अल्जाइमर कम करने के लिए उन्हें अपनाना चाहिए. बड़ी उम्र के रोगियों के लिए दवाएं सावधानी से तैयार की जानी चाहिए. इसमें दवा का विकल्प और उसे कितनी देर तक देना चाहिए, आदि बातों पर गौर करने की जरूरत है. एक व्यक्ति के लक्षण और परिस्थितियां क्या हैं, खासकर टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों के मामले में ट्रीटमेंट बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए.
अल्जाइमर के जोखिम को कम करने के लिए टिप्स -
- उचित वजन बनाए रखें, अपनी कमर की चौड़ाई जांचें.
- सोच समझ कर खाएं, विटामिन युक्त सब्जियों और फलों पर जोर दें.
- साबुत अनाज, मछली, लीन पोल्ट्री, टोफू और सेम जैसी अन्य फलियां जैसे प्रोटीन स्रोतों से मिली स्वस्थ वसा पर ध्यान दें.
- मिठाई, सोडा, सफेद ब्रेड या सफेद चावल, अनहेल्दी वसा, तले और फास्ट फूड, जैसी चीजों को कम खाएं. अपनी थाली के साइज पर भी गौर करें, नियमित रूप से व्यायाम करें.
- तेज चलने के लिए हर सप्ताह ढाई से 5 घंटे का लक्ष्य रखें, जॉगिंग जैसे व्यायाम करने की कोशिश करें, अपने कोलेस्ट्रॉल, ट्रायग्लिसराइड्स, ब्लडप्रेशर और ब्लड शुगर के आंकड़ों पर भी नजर रखें.
ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.
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