ORS दिवस के मौके पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने डायरिया को लेकर सलाह जारी की है. उसका कहना है कि बीमारी को रोका जा सकता है और इसका उपचार भी किया जा सकता है. दरअसल डायरिया या दस्त लगना पेट की गड़बड़ी से जुड़ी एक सामान्य समस्या होती है. बीमारी मेें उल्टी, दस्त होने से धीरे-धीरे शरीर का सारा पानी निकल जाता है. जिसके चलते बच्चे की स्थिति नाजुक होने लगती है.
गर्मी के बार बरसात आते ही डायरिया समेत कई बीमारियां घेरने लगती हैं. अगर वक्त रहते उपाय नहीं किया गया तो कभी-कभी जान जाने का भी खतरा रहता है. इसलिए भारत सरकार ने बच्चों को दस्त से सुरक्षित रखने के लिए कुछ सरल उपाय बताए हैं.
डायरिया से बचने के सरल एवं आसान उपाय
दस्त के दौरान बच्चों को जिंक और ORS का घोल जरूर दें.
दस्त के दौरान मां का दूध, तरल और खाद्य पदार्थ जारी रखें.
भोजन से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ जरूर धोएं.
14 दिनों तक जिंक की खुराक मरीज को पाबंदी से देते रहें.
बच्चे का मल साफ- धुलाने के बाद भी साबुन से हाथ धोएं.
इलाज के लिए ANM या आशा दीदी से मिलने की सलाह.
ORS का घोल बीमारी में माना जाता है लाभकारी
ORS को सामान्य भाषा में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट कहा जाता है. इससे घोल से शरीर के खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स को वापस हासिल किया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ORS में 4 मूल तत्व होने की बात कही है. जिन्हें 1 लीटर साफ पानी में घोलने की जरूरत होती है. सोडियम क्लोराइड की मात्रा 3.5 ग्राम, ट्राईसोडियम साइट्रेट, डीहाइड्रेट की मात्रा2.9 ग्राम, पोटैशियम क्लोराइड की मात्रा1.5 ग्राम जबकि 20 ग्राम ग्लूकोज, यानी चीनी की मात्रा पाए जाने की वजह से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है.
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