लंदन: एचआईवी मरीजों में तंबाकू के सूंघने, चबाने या धूम्रपान में इस्तेमाल से मौत का खतरा दोगुना हो जाता है. शोध में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में धूम्रपान को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों से एचआईवी पाजिटिव धूम्रपानकर्ताओं में कोई अंतर नहीं नजर आया है.



एंटीरिट्रोवायरल थेरपी (एआरटी) की खोज और इसकी आसान पहुंच ने एचआईवी पीड़ित बहुत से लोगों में इस घातक बीमारी से एक स्थायी बीमारी में बदल दिया है.

एचआईवी पीड़ित व्यक्ति एआरटी के साथ अब करीब सामान्य जीवन प्रत्याशा पा सकता है और उसकी आयु सिर्फ पांच साल कम हो सकती है.

हालांकि, तंबाकू के इस्तेमाल से जीवन की जोखिम वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसमें दिल संबंधी बीमारियां, कैंसर और पल्मोनरी रोग और जीवाणु न्यूमोनिया, ओरल कैडियासिंस और टीबी शामिल हैं.

इस शोध का प्रकाशन 'लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' में किया गया है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस तरह एचआईवी पाजिटिव धूम्रपानकर्ताओं में बिना धूम्रपान वाले एचआईवी पाजिटिव लोगों की तुलना में खोए गए जीवन का औसत आयु करीब 12.3 साल है, जो सिर्फ एचआईवी संक्रमण से खोने वाले जीवन अवधि की तुलना में दोगुना है.

नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.