Soap Difference: बाजार में वैसे तो आजकल कई प्रकार के बॉडीवॉश (Bodywash) आ गए हैं, जिसके बाद से लोगों के घर के बाथरूम से साबुन (Soap) धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं. वैसे अब भी कुछ घर और गांवों में रेड और ऑरेंज सोप (Red And Orange Soap) ने अपनी जगह बनाई हुई है. गौरतलब है कि आधे से ज्यादा साबुन टॉयलेट सोप  की कैटिगरी में आते हैं. 


टॉयलेट और बादिंग सोप के अंतर


दरअसल साबुन को उनके इंग्रीडिएंट के आधार पर कैटगराइज किया जाता है. साबुन में एक टीएफएम वैल्यू होती है जिसे टोटल फैटी मैटर कहते हैं.
 
ग्रेड 1 साबुन में 76 से ज्यादा टीएफएम होता है
ग्रेड 2 में 70 से ज्यादा
ग्रेड 3 में 60 से ज्यादा 
ग्रेडिंग के हिसाब से ग्रेड 1 को छोड़ दिया जाए तो बाकी ग्रेड के साबुन टॉयलेट सोप की कैटगिरी में आएंगे. वहीं ग्रेड 1 की कैटगिरी में जो भी सोप आते हैं वो बादिंग सोप की कैटगिरी में आएंगे.


ग्रेड वन साबुन में टीएफएम क्यों ज्यादा होता है


ग्रेड 1 के साबुनों में टीएफएम ज्यादा होता है. यह आपके बॉडी को सॉफ्ट बनाने का काम करता है. कई सफेद और थोड़े महंगे साबुनों में आपने इस अंतर को महसूस किया होगा. इन सोप में मॉइश्चराइजिंग के लिए कई अलग अलग प्राकर के इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल किया जाता है.


कैसे पहचानें अंतर


दोनों साबुनों के अंतर को पहचानने का सबसे सही तरीका है कि आप इसके टीएफएम और इंग्रीएडेंट को पढ़ें और साथ ही सोप के रैपर पर साफ-साफ लिखा होता है कि वह टॉयलेट सोप है कि बादिंग सोप.


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