बच्चों की नींद और स्मार्टफोन
नई दिल्लीः क्या आपका बच्चा भी स्मार्टफोन के लिए रोता है? क्या आपका बच्चा भी स्मार्टफोन लेने की बार-बार जिद करता है? क्या स्मार्टफोन लेते ही आपका बच्चा तुरंत चुप हो जाता है? अगर हां, तो आपको थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है.
जी हां, बच्चों को चुप करवाने के लिए अगर आप स्मार्टफोन देते हैं तो ये तरीका सही नहीं है. ये आपके बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि हालिया रिसर्च में ये बात सामने आई है.
अमेरिकी एकेडमी ऑफ पेड्रियाटिक ने स्मार्टफोन को किड्स को देने चेतावनी जारी की है. इसके मुताबिक, बच्चों द्वारा डिजीटल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल उनकी नींद की क्वालिटी को इफेक्ट करता है. ये बच्चे के ओवरऑल डवलपमेंट और बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक है.
शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि कुछ जगहों पर जैसे प्लेन में, मेडिकल चेकअप के वक्त डिजीटल मीडिया यानि टचस्क्रीन का इस्तेमाल अच्छा भी होता है. लेकिन बच्चों को चुप कराने के लिए स्मार्टफोन देखा ठीक नहीं.
अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी के सी. एस. मोट चिल्ड्रन हॉस्पिटल के प्रमुख लेखक जेनी रडेस्की के मुताबिक, इस तरह बच्चों को बार-बार स्मार्टफोन देने से बच्चे के इमोशंस भी कंट्रोल होते हैं जो कि बच्चे के लिए ठीक नहीं.
आज के समय में देखा गया है कि डिजीटल मीडियम बच्चों के जीवन का जरूरी हिस्सा बनता जा रहा है. लेकिन ये भी सच है कि इससे बच्चें का डवलपमेंट रूक जाता है. दरअसल, शुरूआती समय में बच्चे के दिमाग का विकास तेजी से होता है. ऐसे में बच्चे को नैचरल तरीके के बजाय स्मार्टफोन जैसे गैजेट्स दे दिए जाएंगे तो बच्चे के खेलने की दुनिया सीमित होगी. बच्चे के इमोशंस, उसके सोने का टाइम सभी कंट्रोल हो जाएंगे. अब तो आप समझ ही गए होंगे कैसे गैजेट्स आपके बच्चे की दुनिया को सीमित कर देते हैं.
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