(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पीरियड्स में नहीं रखेंगी हाइजीन का ख्याल तो इस गंभीर सिंड्रोम की हो सकती हैं शिकार
एक्सपर्ट के मुताबिक टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम में बैक्टीरिया यूट्रस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो खून में टॉक्सिंस छोड़कर इन्फेक्शन फैलाता हैं.इसमें व्यक्ति का ब्लड प्रेशर असंतुलित होने लगता है.
Toxic Shock Syndrome: पीरियड्स के दिन बहुत ही कठिन होते हैं. इस दौरान सेहत के साथ-साथ हाइजीन का ध्यान रखना काफी जरूरी होता है. अगर हाइजीन में जरा सी भी लापरवाही की जाए तो महिलाओं को कई गंभीर समस्या हो सकती है. इन्हीं में से एक है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम. पीरियड्स के दिनों में अगर सही समय पर पैड नहीं बदल गया या फिर इंटिमेट एरिया की सफाई नहीं हुई तो इस खतरनाक बीमारी का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. आईए जानते हैं विस्तार से इसके लक्षणों के बारे में.
क्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो स्टेफिलोकोक्कस ऑरियस नाम के बैक्टीरिया के बहुत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से होता है. यह बैक्टीरिया महिलाओं के शरीर में ही पाया जाता है. आमतौर पर पीरियड्स के समय महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है. खासतौर पर जो महिलाएं हाइजीन का ध्यान नहीं रखती. जो महिलाएं जो टेंपोन का इस्तेमाल करती हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक ये बैक्टीरिया यूट्रस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो खून में टॉक्सिंस छोड़कर इन्फेक्शन फैलाता हैइसमें व्यक्ति का ब्लड प्रेशर असंतुलित होने लगता है.इन्फेक्शन धीरे-धीरे शरीर के सभी हिस्सों में फैल सकता है. जो लिवर, किडनी, फेफड़े के इन्फेक्शन का कारण भी बन सकता है. इस समस्या के बढ़ने पर हाइपरटेंशन, सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, शरीर की कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. इस समस्या में व्यक्ति को बेचैनी और घबराहट महसूस होती हैआपको बता दें कि ये बैक्टीरिया महिलाओं की वेजाइना में ही मौजूद होता है, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. वहीं अगर टैंपोन को लंबे वक्त तक बदल ना जाए या फिर पैड को ना बदल जाए तो इस बैक्टीरिया को शरीर में फैलने का मौका मिल जाता है.इसके बाद ये बैक्टीरिया जहर बनना शुरू कर देता है...
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण
- डायरिया की समस्या होना
- अचानक से तेज बुखार आ जाना
- चक्कर आना या बेचैनी महसूस होना
- अनियमित रूप से डिस्चार्ज होना
- जोड़ों में दर्द
- ब्लड प्रेशर अनियमित होना
- हथेलियां का रंग पीला पड़ना
- पेशाब कम होना
- जुबान में छाले पड़ना
- हार्टबीट बढ़ाना
इस बात का रखें ख्याल
- पैड हर से 5 घंटे में बदलती रहें
- वजाइना को क्लीन रखें
- हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल को फॉलो करें
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