नई दिल्लीः हाल ही में आई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि ट्रैफिक रिलेटिड हाई लेवल एयर पॉल्यू्शन बच्चों और टीनेजर्स के एक खास किस्म के डीएनए टेलोमेर (telomere) को डैमेज कर सकता है. हालांकि ऐसे युवा जिन्हें अस्थमा है, में भी डीएनए टाइप टेलोमेर की कमी के कुछ सबूत मिले हैं. टेलोमेर की कमी एजिंग से संबंधित है.
किस काम आता है टेलोमेर-
ऑक्यूपेशनल एंड एन्वायरन्मेंटल मेडिसीन जर्नल में पब्लिश हुई इस रिसर्च के मुताबिक, रिजल्ट बताते हैं कि टेलोमेर की लंबाई डीएनए डैमेज होने के दौरान बहुत कारगर होती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. जॉन ब्लेम्स का कहना है कि डीएनए के एन्वायरन्मेंटल और क्रोनिक इंफ्लेमेशन के कारण डैमेज होने पर टेलोमेर की लंबाई में बायोमार्कर के तौर पर इस्तेमाल होने की क्षमता होती है. टेलोमेर के बारे में अधिक जानकारी से ये भी पता लगा पाना संभव होगा कि पॉल्यूशन के हमारी ओवरऑल हेल्थ पर क्या इफेक्ट पड़ता हैं.
कैसे की गई रिसर्च-
इस रिसर्च में कैलिफोर्निया और फ्रैसनो के 14 बच्चों और टीनेजर्स को शामिल किया गया. आपको बता दें, ये यूएस की दूसरी सबसे ज्यादा पॉल्यूटिड सिटी है. शोधकर्ताओं ने पॉलीसाइक्लिक अरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs), मोटर बाइक से होने वाले पॉल्यूशन और टेलोमेर की कमी के बीच रिलेशन जानने की कोशिश की.
रिसर्च के नतीजे-
रिसर्च के नतीजों में पाया गया कि पॉलीसाइक्लिक अरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जब बढ़ जाता है तो बच्चों, टीनेजर्स और अस्थमा के मरीजों में टेलोमेर की लेंथ कम हो जाती है. खासतौर पर उस समय जब वे पीएएच के संपर्क में बहुत ज्यादा रहते हैं.
इससे पहले आई रिसर्च बताती हैं कि एयर पॉल्यूशन से नींद डिस्टर्ब होती है. इसके अलावा लोगों में स्ट्रेस बढ़ता है. लिपीड, प्रोटीन भी डैमेज होता है.
रिसर्च में कहा गया है कि जिन बच्चों में टीनेजर्स के मुकाबले टेलोमेर की कमी है उन्हें एयर पॉल्यूशन से बचाकर रखना चाहिए.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.