Trauma Bonding: 'ट्रॉमा बॉन्ड' एक अनहेल्दी रिलेशनशिप की निशानी है. किसी भी रिलेशनशिप में जब यह स्थिति आती है, तब इंसान मजबूरन दर्द, चिंता और दुर्व्यवहार सहने के चक्र में फंसकर रह जाता है. आप अपने साथी को प्यार भी करते हैं और उनकी कुछ बातें आपको बेहद तकलीफ भी देती हैं, लेकिन आप उनसे इस डर से कुछ कह नहीं पाते कि कहीं आपको उनसे दूर न होना पड़ जाए. ऐसा उन रिलेशनशिप्स में ज्यादा होता है, जिनमें एक पार्टनर तो बेहद सीरियस होता है, मगर दूसरा नहीं होता. 


'ट्रॉमा बॉन्ड' जैसी स्थिति में आप काफी दुखी महसूस करते हैं. हो सकता है कि आपको अपका पार्टनर पसंद भी न हो, लेकिन उससे दूर होने का सोचकर भी आप खौफज़दा हो जाते हैं. जब आप उन्हें छोड़ने का विचार करते हैं तो आप शारीरिक और भावनात्मक रूप से चिंतित महसूस करने लगते हैं. आप उन पर भरोसा करना तब भी जारी रखते हैं, जब आपका भरोसा डगमगा रहा होता है. आप उनको खोने के डर से उनकी सारी बातों पर रज़ामंद हो जाते हैं. उनके द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार को भी नजरअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं. ये सारी बातें 'ट्रॉमा बॉन्ड' की पहचान है. 


ट्रामा बॉन्ड की स्थिति एक खतरनाक स्थिति होती है. हमारे साथ गलत हो रहा होता है, फिर भी हम रिलेशनशिप से बाहर आने की सोच तक नहीं पाते. एक ट्रॉमा बॉन्ड के संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है और इससे बाहर निकलना भी, क्योंकि इसके कई बार गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं. आइए जानते हैं ट्रॉमा बॉन्ड से हम कैसे बाहर निकल सकते हैं. 


ट्रॉमा बॉन्ड से बाहर निकलने के उपाय


अपने वर्तमान पर ध्यान दें: आप कभी यह न सोचे कि आपका पार्टनर अगर आपको सॉरी कह रहा है तो वह बदल जाएगा और आपके साथ अच्छा व्यवहार करने लगेगा.  इस बात को स्वीकार करने की कोशिश करें कि आपके साथ वर्तमान में क्या हो रहा है. वर्तमान की स्थिति पर विचार करें और फिर कोई फैसला करें.


सबूतों पर ध्यान दें: अगर आपका पार्टनर आपको गाली देता और मारपीट करता है या जरूरत पड़ने पर आपकी मदद नहीं करता, लेकिन फिर भी आप उनसे प्यार करते हैं तो सावधान हो जाएं और ऐसे रिश्ते से तुरंत बाहर निकल जाएं. क्योंकि ये सब कभी खत्म नहीं होने वाला. आप उन बातों को इग्नोर न करें जो आप स्पष्ट अपने सामने होते हुए देख रहे हैं. 


खुद से बातचीत कर निष्कर्ष निकलें: कई बार हम खुद से बातचीत करके भी कई सवालों के जवाब खोज लेते हैं. क्योंकि अपनी स्थिति को हम बाकियों से बेहतर जानते होते हैं. इसलिए ऐसी स्थिति में खुद से बात करें और निष्कर्ष निकालें.


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