'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' ने मंगलवार को बताया कि पिछले साल 80 लाख से भी अधिक लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं. यह 'संयुक्त राष्ट्र एजेंसी' द्वारा ट्रैकिंग शुरू करने के बाद से सबसे अधिक संख्या है.टीबी एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो हवा में तेजी से फैलता है. यह सबसे ज्यादा फेफड़ों पर बुरा प्रभाव डालता है. पूरी दुनिया में लगभग 1/4 आबादी टीबी से पीड़ित है. इसके शुरुआती लक्षण 5-10 प्रतिशत लोगों में ही दिखाई देती है.

  


कोविड की जगह ले सकता है टीबी


मंगलवार को पब्लिश वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में टीबी की बीमारी, कोविड-19 की जगह ले लेगा और यह एक महामारी में तबदील हो सकती है. यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन वाली बीमारी है.  सबसे ज्यादा इस बीमारी से लोगों की मौत हो रही है.  इस रिपोर्ट में इस बीमारी को मिटाने के वैश्विक प्रयासों में चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है.


पिछले साल टीबी से 1.25 मिलियन से भी ज्यादा लोगों की हो गई थी मौत


पिछले साल टीबी से 1.25 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी और महामारी के दौरान कोविड-19 द्वारा विस्थापित होने के बाद टीबी के दुनिया के प्रमुख संक्रामक रोग हत्यारे के रूप में अपना स्थान पुनः प्राप्त करने की उम्मीद है. एचआईवी से होने वाली मौतों की संख्या साल 2023 की तुलना में लगभग दोगुनी है.


टीबी इन देशों को सबसे ज्यादा कर रहा है प्रभावित


डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टीबी दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में लोगों को प्रभावित करना जारी रखता है. जिसमें भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान वैश्विक मामलों के आधे से अधिक के लिए ज़िम्मेदार हैं.


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डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा, यह तथ्य कि टीबी अभी भी इतने सारे लोगों को मारता है और बीमार करता है. एक अपमानजनक बात है, जबकि हमारे पास इसे रोकने, इसका पता लगाने और इसका इलाज करने के साधन हैं. वर्ल्ड लेबल पर टीबी से होने वाली मृत्यु दर में कमी आ रही है. तथा नए संक्रमित लोगों की संख्या स्थिर होने लगी है. संगठन ने बताया कि पिछले वर्ष दवा-प्रतिरोधी टीबी से पीड़ित 400,000 रोगियों में से आधे से भी कम का निदान और उपचार किया गया.


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टीबी हवा में फैलने वाली बैक्टीरिया इंफेक्शन के कारण होता है. जो अधिकतर फेफड़ों पर हमला करता है. दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी को टीबी होने का अनुमान है. फिर भी केवल 5-10 प्रतिशत में ही लक्षण विकसित होते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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