(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
डॉक्टरों ने दर्द, थकान को बताया मोटापा, मगर यहां तो महिला को भयंकर बीमारी निकली
डॉक्टर कभी कभी पेशेंट को सीरियसली नहीं लेते तो परेशानी पेशेंट को ही उठानी पड़ती है. अमेरिका में महिला को डॉक्टरों ने बीमार होने के पीछे मोटापा, एंग्जाइटी बताई, जबकि महिला डिस्मॉइड ट्यूमरह से पीड़ित थी.
Tumor In Women: बॉडी में किसी भी गांठ का बनना, कोशिकाओं की अनियंत्रित ग्रोथ कहलाती है. गांठ दो तरह की हो सकती हैं. एक गांठ नॉन कैंसर्स होती है, जबकि दूसरी तरह की गांठ कैैंसर्स हो जाती हैं. हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है, इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए तो कैंसर से बचाव किया जा सकता है. सामान्य गांठ है या फिर कोई परेशानी. इसकी जांच कराने का जिम्मा डॉक्टरों पर होता है. लेकिन कई बार डॉक्टरों की लापरवाही से पेशेंट को परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसा ही एक मामला अमेरिका में देखने को मिला है. महिला का इलाज लगातार जारी है.
डॉक्टर ने बताया, मोटापे से हुई परेशानी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी निवासी स्टेफनी क्लार्क की उम्र अब 34 साल है. वर्ष 2017 में उन्हें पीठ, गर्दन और कंधे मेें दर्द महसूस हुआ. बाई ओर करवट लेकर सो भी नहीं पा रही थी. हर समय थकान रहती थी. वह इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुंची. डॉक्टर ने वजन अधिक, एंग्जाइटी और डिप्रेशन इस समस्या की जड़ बता दी.
स्किन डॉक्टर ने साधारण गांठ बताई
क्लार्क इलाज से संतुष्ट नहीं थी. उनकी परेशानी लगातार बढ़ती जा रही थी. जब आराम नहीं हुआ तो वह स्किन स्पेशलिस्ट के पास पहुंची. डॉक्टर ने बताया कि एक लिंपोमा है. इससे किसी तरह का नुकसान नहीं है. मसल्स और त्वचा के बीच पैदा हुई एक गांठ है.
यहां डॉक्टरों ने जताई बोन कैंसर होने की संभावना
क्लार्क की तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी. स्थिति यह आ गई थी कि वह एक या दो मिनट मुश्किल से ही खड़ा सकती थी. इतनी वीकनेस उनकी बॉडी में आ गई थी. अगस्त 2020 में उन्हेें अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराना पड़ा. जब सीटी स्कैन किया गया तो सामने आया कि उनके फेफड़ों में अंगूर के आकार का ट्यूमर है. डॉक्टरों ने स्टेज 3 के बोन कैंसर होने की संभावना जताई.
कैंसर नहीं, डिस्मॉइड ट्यूमर निकला
कैंसर की संभावना को देखते हुए डॉक्टरों ने क्लार्क की बायोप्सी कराई. बायोप्सी में सामने आया कि क्लार्क को कैंसर नहीं है. बल्कि एक डिस्मॉइड ट्यूमर है. यह एक तरह की रेयर कंडीशन है. इसमें टेंड्रिल जैसी वृद्धि होती है. यह आसपास के आर्गन को प्रभावित करती है और बहुत अधिक दर्द महसूस होता है. कई बार यह ट्यूमर बेहद घातक होता है. इसका कोई स्पेसफिक उपचार नहीं है. यूएस नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, इस प्रकार के ट्यूमर को हटाना मुश्किल हो सकता है और अक्सर हटाने के बाद भी वापस बढ़ जाता है।
कीमोथेरेपी के बाद भी बढ़ रहा ट्यूमर
डॉक्टरों का कहना है कि इस ट्यूमर का सबसे खाराब पहलू यही है कि यह लगातार बढ़ता जाता है. क्लार्क ने पहले तीन महीने की ओरल कीमोथेरेपी की. बावजूद इसके ट्यूमर बढ़ता रहा. उसके बाद वह पांच महीने दूसरी कीमो से गुजरी. इससे ट्यूमर आधा सिकुड़ गया. भविष्य में, अधिकांश ट्यूमर को हटाने की कोशिश करने के लिए उनकी सर्जरी की जा सकती है. हालांकि ट्यूमर हटाने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. लेकिन भविष्य में यह बढ़ सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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