कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल हो रही 'मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल' के बेहद कारगर नतीजे सामने आ रहे हैं. दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दो बुज़ुर्गों को ये दवा दी गयी थी और वो आठ दिन में ही संक्रमण मुक्त हो गए हैं. दिल्ली-एनसीआर के कुछ प्राइवेट अस्पताल हल्के से मध्यम लक्षणों के हाई रिस्क वाले कोविड मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी देने की शुरुआत कर चुके है. इस इलाज में कासिरिविमैब और इमडेविमैब के कॉम्बिनेशन का उपयोग किया जाता है जिसे आमतौर पर 'एंटीबॉडी कॉकटेल' कहा जाता है. भारत में रोश इंडिया और सिप्ला इसे पिछले महीने लॉन्च किया था. 


बीएल कपूर-मैक्स सुपर स्पेशीएलिटी हॉस्पिटल के आधिकारिक बयान के अनुसार, 65 वर्षीय सुरेश कुमार त्रेहन और 70 वर्षीय सुनिर्मल घटक इन दोनों मरीजों को एक जून को 'मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल' दी गयी थी. बयान में कहा गया है कि, "इन दोनों मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के तीन दिन के अंदर हमनें इन्हें ये एंटीबॉडी थेरेपी दी थी. संक्रमण के लक्षण दिखने के 8 दिन बाद जब दोबारा इनका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया तो इन दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है."


अस्पताल के चेस्ट एवं रेस्पिरेटरी विभाग के एचओडी डॉक्टर संदीप नायर ने बताया, "दोनों मरीजों को हृदय संबंधी दिक्कतें भी थीं. गंभीर बीमारी वाले मरीजों में इस एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी से रिकवर होने का ये सबसे तेज मामला है." 


मृत्यु के जोखिम को करती है कम 


यह थैरेपी लक्षणों की शुरुआत के पहले 10 दिनों के भीतर हाई रिस्क वाले कोविड मरीजों के लिए सबसे उपयुक्त है. यह माइल्ड से मॉडरेट कोरोना संक्रमित मरीजों को दी जा सकती है. वयस्कों और 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के अलावा माइल्ड से मॉडरेट लक्षण वाले कोरोना के मरीज और ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर रोग विकसित होने का हाई रिस्क है और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है को ये एंटीबॉडी कॉकटेल दिया जा सकता है. ये एंटीबॉडी उच्च जोखिम वाले रोगियों की स्थिति खराब होने से पहले, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को 70 प्रतिशत तक कम करने में सहायक है.


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