नई दिल्लीः एक रिसर्च से पता चला है कि टाइप-2 डायबिटीज वाले उम्रदराज लोगों और बुजुर्गो की कॉर्टिकल हड्डी कमजोर हो जाती है, जिससे उन्हें फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है. हड्डी की घनी बाहरी परत को कॉर्टिकल कहते हैं, जो अंदरूनी भाग की रक्षा करती है.
क्या कहती है रिसर्च-
टाइप-2 डायबिटीज से वृद्धों की इस हड्डी की बनावट बदल सकती है और फ्रैक्चर का जोखिम पैदा हो सकता है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा कि टाइप-2 डायबिटीज एक गंभीर पब्लिक हेल्थ समस्या है. बुजुर्गो की आबादी बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या भी बढ़ते जाने की संभावना है.
डायबिटीज वाले अधिकांश लोग टाइप-2 डायबिटीज वाले हैं. इसके रोगियों में इंसुलिन तो बनता है, लेकिन कोशिकाएं इसका इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि टाइप-2 डायबिटीज आमतौर पर खाने-पीने की खराब आदतों, मोटापे और शारीरिक कसरत न करने की वजह से उत्पन्न होती है. चूंकि शरीर ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाने में इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता, इसलिए यह टिश्यूज, मांसपेशियों और अंगों में ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर करता है. यह एक चेन रिएक्शन की तरह होती है और कई लक्षणों के साथ बढ़ती जाती है.
टाइप-2 डायबिटीज के कारण-
टाइप-2 डायबिटीज समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती जाती है और शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के-फुल्के होते हैं. जीवनशैली के मुद्दों के अलावा, ऐसे अन्य कारक भी हैं जो इस विकार के विकास में योगदान कर सकते हैं. कुछ लोगों के लीवर में बहुत अधिक ग्लूकोज पैदा होता है. कुछ लोगों में टाइप-2 डायबिटीज की आनुवांशिक स्थिति भी हो सकती है. मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध के खतरे को बढ़ाता है.
टाइप-2 डायबिटीज के लक्षण-
टाइप-2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में प्रमुख हैं- लगातार भूख लगते रहना, ऊर्जा की कमी, थकान, वजन घटना, अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र करना, मुंह सूख जाना, त्वचा में खुजली और धुंधलाना. चीनी के स्तर में वृद्धि से यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है, घाव भरने में ज्यादा समय लगता है, त्वचा पर काले पैच पड़ जाते हैं, पैर में तकलीफ और हाथों में सुन्नपन पैदा हो सकती है.
टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम कम करने के उपाय-
पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, मछली और बादाम जैसे नट्स के साथ स्वस्थ आहार लेने से, टाइप-2 डायबिटीज के मरीज में जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है. सस्ते, कैलोरी से भरे, कम पोषक तत्वों वाले भोजन की अधिकता से टाइप-2 डायबिटीज की दुनिया भर में बढ़त जारी है. सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज और गुड फैट से इस रोग का खतरा कम होता है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि इन चीजों को किफायती दरों पर आसानी से अधिकाधिक उपलब्ध कराया जाए.
टाइप-2 डायबिटीज लिए कुछ टिप्स -
- अपनी डायट में फाइबर और हेल्दी कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करें. फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहने में मदद मिलेगी.
- नियमित अंतराल पर खाएं और भूख लगने पर ही खाएं.
अपना वजन नियंत्रित रखें और अपना दिल स्वस्थ रखें. इसका मतलब है कि रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, मिठाई और एनीमल फैट कम से कम खाएं.
अपने दिल को स्वस्थ बनाए रखने में मदद के लिए रोजाना आधा घंटा तक एरोबिक व्यायाम करें. व्यायाम भी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.