Coronavirus New Variant: यूके (United Kindom) के 'वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट' के  रिसर्चर ने दावा किया है कि वह अब फ्यूचर में होने वाले कोरोना के नए वेरिएंट का आसानी से पता लगा सकते हैं. रिसर्चर की एक रिपोर्ट ने हाल ही में इंग्लिश पॉर्टल 'द गार्जियन' में इस बात का खुलासा किया है. वहां के रिसर्चर ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है जिसमें उन्होंने बताया है कि हमने ऐसा तकनीक बनाया है कि फ्यूचर में आने वाले कोरोना के नए वेरिएंट का आसानी से पता लगा सकते हैं. रिसर्चर की टीम ने कहा, हमने एक चीप बनाया है जिसके जरिए कोरोना के नए वेरिएंट के लक्षणों का आसानी से पता लगाया जा सकता है. साथ ही इस चीप के जरिए इन्फ्लुएंजा वायरस, रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (RSV), के भी नए वेरिएंट का आसानी से पता लगाया जा सकता है. 


'रेस्पिरेटरी वायरस और माइक्रोबायोम इनिशिएटिव' नाम का यह प्रोजेक्ट है. इसके अंतर्गत मरीज के नाक में होने वाले सूजन या जमने वाले कफ के नमूने से होने वाले बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन का आसानी से पता किया जा सकता है.  यह आपके डीएनए तकनीक के हिसाब से बनाई गई है. 


'सेंगर इंस्टीट्यूट' प्रोजेक्ट


इवान हैरिसन जो 'सेंगर इंस्टीट्यूट' में इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं. यह आनुवंशिकी अनुसंधान और डीएनए अनुक्रमण के लिए दुनिया का एक फेमस संस्थान है. इवान हैरिसन के मुताबिक ब्रिटेन कोविड -19 की जीनोमिक निगरानी के अग्रणी छोर पर था और लगभग 20% के लिए जिम्मेदार था. सभी Sars-CoV-2 जीनोम जिन्हें महामारी के दौरान अंकित किया गया था.  


इवान हैरिसन


हैरिसन ने कहा,'हमने कई पुराने रिकॉर्ड और डेटा ट्रैक करके इस तकनीक को बनाया है. गति और सटीकता के साथ - सार्स-सीओवी -2, कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस हैं. कोविड-19 के वेरिएंट किस तरह से बदलते हैं. बीमारी से लड़ने में मदद करने में यह एक अद्भुत सहायता है. अब हम सभी सांस लेने के दौरान होने वाली दिक्कतों को वैश्विक जीनोमिक निगरानी के निर्माण में योगदान करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. आखिरकार, ये एजेंट हैं जो नए महामारी को ट्रिगर करने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं.'कोरोनवायरस द्वारा भविष्य की महामारियों के खतरे का एक उदाहरण प्रदान किया गया है. तकनीक की उल्लेखनीय क्षमता तब सामने आई जब शोधकर्ताओं ने कोविड महामारी के दौरान जीनोमिक सर्वेक्षणों का इस्तेमाल किया.    


कोरोना का नए वेरिएंट का पता लगाने वाले चीप का नाम जीनोमिक है


'द गार्जियन' के मुताबिक साल 2020 में  साउथ-नॉर्थ इंग्लैंड में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि हुई. इस तकनीक ने दिखाया कि यह उछाल एक नए वेरिएंट के कारण हो रहा है. इसे बाद में Sars-CoV-2 अल्फा वैरिएंट के रूप में रीलेबल किया गया.'सेंगर इंस्टीट्यूट' की जीनोमिक निगरानी के प्रेवक्ता जॉन सिलिटो ने कहा,'यह खोज एक गेमचेंजर थी. हमने बहुत तेज़ी से जीनोमिक डेटा तैयार किया और हम देख सकते हैं कि यह संस्करण बहुत उच्च दर पर संचारित हो रहा था. दुनिया देख सकती थी कि जीनोमिक्स क्या कर सकता है. यह आपको अन्य तरीकों की तुलना में बहुत अधिक तेजी से वायरस में परिवर्तन देखने की अनुमति देता है.'     


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.    


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