Good, Bad And Normal Level Of Cholesterol: हमारी बॉडी लगातार हेल्दी सेल्स बनाती रहे, इसके लिए कोलेस्ट्रॉल का होना बहुत जरूरी है. यही कोलेस्ट्रॉल अगर जरूरत से ज्यादा हो जाए तो हमारे दिल का ही दुश्मन बन जाता है. ज्यादा कोलेस्ट्रॉल ब्लड कैरी करने वाली नसों में जमना शुरू हो जाता है. और जमते जमते खून का रास्ता ब्लॉक करने लगता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की नौबत भी आ सकती है. कई बार जैनेटिक कारणों से और कई बार खराब लाइफस्टाइल के चलते कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की शिकायत आ जाती है. जबकि सही और हेल्दी डाइट, वर्कआउट रूटीन और दवाओं के सहारे कोलेस्ट्रॉल पर काबू भी पाया जा सकता है.
दो तरह का होता है कोलेस्ट्रॉल
हॉपकिन् मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार मानव शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल होता है. एक लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन जिसे एलडीएल भी कहते हैं. यही कोलेस्ट्रॉल बैड कोलेस्ट्रॉल भी माना जाता है. दूसरा कोलेस्ट्रॉल होता है हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी कि एचडीएल. यही गुड कोलेस्ट्रॉल भी होता है. जब गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है तो ये शरीर के लिए अच्छा होता है. बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से इसका बनना कम हो जाता है. और, शरीर को कभी भी इसका नुकसान हो सकता है. ये दोनों जितना बैलेंस रहेंगे शरीर के लिए उतना ही अच्छा होगा.
क्या होता नॉर्मल लेवल?
शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल होना चाहिए 200 mg/dL से कम. इससे ज्यादा कोलेस्ट्रोल अगर 200 से 239 mg/dL के बीच होता है तो खतरे की लाइन के पास माना जाता है. 240 mg/dL कोलेस्ट्रॉल होता है तो ये हाई माना जाता है. इससे ज्यादा होना और भी खतरनाक हो सकता है.
LDL की मात्रा 100 mg/dL तक ही होना चाहिए. ये सामान्य स्तर है. 129 mg/dL को बॉर्डर लाइन और 160 से 189 mg/dL तक एलडीएल होने पर ये खतरनाक माना जाएगा.
HDL की मात्रा हमेशा 40 mg/dL से लेकर 60 mg/dL तक होनी चाहिए.
इसके और प्रकार ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा 150 mg/dL से कम ही होनी चाहिए. 150 से 199 mg/dL भी सामान्य के आसपास ही माना जाएगा. लेकिन, 200 से 499 mg/dL होने पर ये खतरनाक लेवल होगा.
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