नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दौरे के दौरान सूरत में किरण मल्टी सुपर स्पेशिएलिटी हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया है और इस दौरान देश को सस्ते इलाज मुहैया कराने का दावा किया, साथ ही जेनेरिक दवाइयों के इस्तेमाल पर जोर दिया. तो चलिए जानते हैं आज के समय में कितनी कारगर हैं जेनेरिक दवाएं.


जेनेरिक दवाओं की आज के समय में क्या पोटेंसी हैं इस बारे में एबीपी न्यूज़ ने डॉक्टर्स से बात की. इस बारे में सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन डिपार्टमेंट हेड डॉ. दलिप कुमार का कहना है कि जेनेरिक दवाएं बेशक निम्न वर्ग के लिए बहुत सस्ते दामों पर उपलब्‍ध होंगी लेकिन किस दवा में कौन सी कंपोजिशन है, किसमें कौन सा साल्ट कितनी मात्रा में उपलब्ध है या कौन सी कंपनी क्या दवा बना रही है ये पता करना मुश्किल है. दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि दवा कंपनियां महंगी दवाओं को प्रमोट करती हैं जबकि सस्ती दवाओं को नहीं. ऐसे में मेडिकल स्टोर्स ब्रांडेड दवा देने में ज्‍यादा यकीन रखते हैं ना कि जेनेरिक दवा देने में क्योंकि इसी में उनको फायदा मिलता है.

मैक्स वैशाली के फीजिशियन डॉ. पंकजानंद चौधरी का कहना है कि हर जगह ऐसे लोग मौजूद हैं जहां जेनेरिक मेडिसिन की जरूरत पड़ती है. लेकिन हमारे यहां ये जानने के लिए कोई पर्टिकुलर लॉ नहीं है कि मेडिसिन की गुणवत्ता क्या है. मेडिकिन की एफिकैसी चैक करने का कोई तरीका नहीं है. लेकिन बड़े ब्रांड्स अपनी मेडिसिन अप्रवू करवाकर बाजार में उपलब्ध करवाते हैं इसलिए उन पर विश्वास भी बना हुआ है. अगर आप किसी सीरियस इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं तो जेनेरिक मेडिसिन में एफिकैसी का अंदाजा नहीं लग पाता. अगर जेनेरिक मेडिसिन सचमुच उपलब्ध करवानी है तो प्लान में कुछ चेंज होने चाहिए. अगर जेनेरिक मेडिसिंस की एफिकैसी ठीक होती है तो फिर उनका ठीक वैसे ही फायदा होगा जैसे जेनेरिक मेडिसिन में होता है.

डॉ. पंकजानंद बताते हैं कि उन्होंने कुछ जेनेरिक मेडिसिंस ट्राई की लेकिन उसका ठीक रिजल्ट नहीं आया क्योंकि उसमें दी गई एफिकैसी पूर्ण नहीं थी. अगर कंपनियां जेनेरिक मेडिसिन लाती हैं और उसकी एफिकैसी ठीक है तो उसको लेने में कोई हर्ज नहीं है.