कोविड-19 वैक्सीन गंभीर रूप से बीमारी या वायरस की चपेट में आने पर मौत से बचाती है. लेकिन जो लोग टीकाकरण नहीं कराते हैं, उनको बीमारी से मरने का 11 गुना और अस्पताल में भर्ती होने का 10 गुना ज्यादा खतरा होता है. ये खुलासा शुक्रवार को प्रकाशित अमेरिकी संस्था सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिसर्च में हुआ है.
कोविड-19 की वैक्सीन नहीं लगवाने पर चेतावनी
रिसर्च में अप्रैल से मध्य जुलाई तक 13 राज्यों के 6 लाख कोरोना के मामलों को देखा गया. नतीजे से पता चला कि जिन लोगों ने कोविड-19 वैक्सीन का दोनों डोज ले लिया है, उनको कोरोना वायरस से मरने की 11 गुना कम संभावना है. सीडीसी के डायरेक्टर डॉक्टर रोशेल वेलेंसकी ने कहा, "बुनियादी बात ये है कि हमारे पास वैज्ञानिक टूल्स महामारी से लड़ने के लिए हैं. कोविड-19 वैक्सीन असर करती है और कोविड-19 की गंभीर दिक्कतों से हमें बचाएगी."
रिसर्च के हवाले से उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने कोविड-19 की वैक्सीन नहीं लगवाई है, उनको कोविड-19 की बीमारी होने का करीब साढ़े चार गुना ज्यादा जोखिम है. 75 मिलियन से ज्यादा पात्र अमेरिकियों का अभी भी टीकाकरण नहीं हुआ है, कई राज्यों के अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है और डर है कि कोरोना के मामले सर्दियों में और बढ़ सकते हैं, विशेषज्ञ और अधिकारी कोरोना महामारी की रफ्तार को धीमा करने का प्रयास कर रहे हैं.
कोविड से मरने का 11 फीसद ज्यादा जोखिम
सीडीसी की एक अन्य रिसर्च ये भी कहती है कि कुल मिलाकर सभी वैक्सीन कोरोना के वेरिएन्ट्स पर प्रभावी हैं और 60 से 90 फीसद फायदा होता है. एक अन्य रिसर्च में जून-अगस्त के बीच 400 से ज्यादा अस्पतालों में वैक्सीन के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया. नतीजे से पता चला कि अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ सुरक्षा सबसे ज्यादा मॉडर्ना एंड मॉडर्ना की वैक्सीन से मिली यानी सुरक्षा दर 95 फीसद था, जबकि दूसरे नंबर पर फाइजर की वैक्सीन में 80 फीसद और अंत में जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन से 60 फीसद सुरक्षा मिली. हालांकि, ये साफ नहीं है कि क्यों मॉडर्ना की वैक्सीन डेल्टा काल में फाइजर पर हल्की बढ़त बनाती हुई दिखती है. हो सकता है इसका संबंध 100 माइरक्रोग्राम बनाम 30 माइक्रोग्राम लेवल के अधिक डोज से जुड़ता है, या संभावित तौर पर पहले और दूसरे डोज के बीच ज्यादा अंतराल मिलने से ऐसा होता है.
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