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मौत से ऐन वक्त पहले लोगों को होता है इन बातों का पछतावा, कईं मरीजों के साथ रह चुकी नर्स ने किया खुलासा

जिस तरह जिंदगी सत्य है, इसी प्रकार मौत भी अटल और सत्य है. अपनी जिंदगी को भरपूर जीने के बावजूद कुछ लोग आखिरी समय में पछताते हैं. ऐसे में क्या होते हैं उनके पछतावे. इस नर्स ने किए खुलासे.

Regrets Of Life In Last Time: जिंदगी (Life)और मौत ऊपर वाले के हाथ में है. इंसान जिंदगी को भरपूर तरीके से जीता है भगवान से यही मांगता है कि मरते समय किसी चीज का अफसोस ना रहे. लेकिन अक्सर ऐसा हो  नहीं पाता. जिंदगी जीते समय इंसान ना जाने कितनी गलतियां कर बैठता है कि उसे याद नहीं रहता. लेकिन अंतिम वक्त में जब वो मौत के आगोश में जा रहा होता है तो अच्छे बुरे सब तरह के पल उसके सामने रील की तरह गुजरते हैं और वो उन गलतियों पर पछताता (regret of life) है जो उससे अनजाने में ही सही लेकिन हो गईं. ऐसे ही कुछ चौंकाने वाले वाकये एक नर्स ने दुनिया के साथ साझा किए हैं जिसमें मरते वक्त लोगों ने अपनी जिंदगी की कमियों पर स्टेटमेंट दिए.

नर्स किताब में पिरो रही हैं जिंदगी के फलसफे 

अमेरिकी प्रांत लूइसियाना में नर्स का काम करने वाली तीस साल की हैडले वलाहोस ने ऐसे ही मरीजों के पछतावों पर एक किताब लिखी है जिसका जिक्र करते हुए हैडले ने कुछ मरीजों के बयानों पर बात की. हैडले ने कहा कि वो पिछले आठ साल से उन मरीजों के साथ वक्त बिताती हैं जो मरने के कगार पर हैं और उन मरते मरीजों के व्यवहार और बयानों पर उनकी किताब जल्द ही आने वाल है. हैडले ने कहा कि एक मरीज ने मरते वक्त उससे कहा था कि कोई अपने साथ कुछ लेकर नहीं जाता. शायद वो मरीज अपने जीवन में भौतिक चीजों के प्रति अपने मोह को लेकर पछतावे में था.
 
 एक दूसरे मरीज ने मरते वक्त किसी काम के लिए अच्छे वक्त का इंतजार करने से बेहतर है उसे अभी शुरू कर देना चाहिए. एक मरीज को शायद इस बात का अफसोस था कि वो अपने प्रियजनों से जीते जी प्रेम का इजहार नहीं कर पाए.उस मरीज ने मरते वक्त हैडले से कहा कि काश वो उन लोगों को बता पाते कि वो उनसे कितना प्यार करते हैं. एक मरीज ने कहा कि उसे डॉक्टर बनना था लेकिन राइट टाइम के चक्कर में वो इंतजार करता रह गया और ऐसा राइट टाइम कभी आया ही नहीं. 

काम से ज्यादा परिवार है जरूरी 

हैडले के मुताबिक एक मरीज ने उनसे कहा कि काम से ज्यादा परिवार को प्राथमिकता देनी जरूरी है. वहीं एक मरीज ने जाते वक्त कहा कुछ चीजें दूसरों के लिए नहीं बल्कि अपने लिए करनी चाहिए. शायद वो मरीज अपनी जिंदगी में अपने शौक, हॉबी और पसंद पर उतना फोकस नहीं कर पाया होगा, जिसका उसे मरते वक्त पछतावा था. हैडले ने कहा कि उन्होंने अपने हर मरीज के आखिरी वाक्यों को किताब में ही कैद नहीं किया है, वो इन वाक्यों को अपनी जिंदगी पर भी लागू करती हैं क्योंकि कहीं ना कहीं ये पछतावे आपको अपनी आने वाली जिंदगी की प्राथमिकताएं तय करने या फिर बदलने के लिए प्रेरित करते हैं.
 
 हैडले ने कहा कि हर एक शख्स अपनी जिंदगी और मौत से आपको कुछ अनोखा सिखाता है और यही सीख जीवन पर लागू करके हम उन पछतावों से बच सकते हैं. अपनी जिंदगी जी चुके लोगों की सीख ही जिंदगी जीने के काम आती है और ये पछतावे वाकई कहीं ना कहीं सबसे जुड़े होते हैं.
 
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