फाइलेरिया एक अजीबोगरीब बीमारी है जिसमें शरीर के अंग जैसे हाथ, पैर फूलने लगते हैं. यह बीमारी होने के बाद वजन बढ़ने लगता है. इस बीमारी को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी को लेकर अब यूपी के 17 जिलों में एक्शन मोड पर अभियान चलाया जाने वाला है.  यूपी में 10 से 28 फरवरी तक 17 जिलों में फाइलेरिया मुक्त अभियान शुरू होने जा रहा है. इसके तहत 17 जिलों के 72 हजार स्वास्थ्यकर्मी 3.6 करोड़ प्रदेशवासियों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी. 


5 से 15 साल के बीच दिखाई देते हैं फाइलेरिया के लक्षण


सीएम योगी ने लोगों से अपील की है कि वह ज्यादा से ज्यादा इस अभियान से जुड़े. क्यूलेक्स मच्छ के काटने से यह बीमारी होती है. एक बार यह मच्छर काट ले तो इसके लक्षण 5-15 साल के बीच दिखाई देते हैं. हाथ-पैर में सूजन 5-15 साल में दिखाई देते हैं. ऐसी स्थिति में खुद को फाइलेरिया से पीड़ित समझकर दवा खाएं खुद की आने वाली पीढ़ी को इस बीमारी से बचाएं. यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है. इसके लक्षण आने का इंतजार न करें बल्कि वक्त रहते दवा खा लें. 


17 जिलों में 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए राउंड) चलाया जाएगा. इसके अंतर्गत हेल्थ वर्कर घर-घर जाकर 2 साल से कम उम्र वाले बच्चों को दवा देंगे. प्रेग्नेंट और गंभीर रूप से बीमारी लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग फाइलेरिया की दवा खा सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2027 तक फाइलेरिया मुक्त भारत का लक्ष्य रखा गया है. 


फाइलेरिया से बचने के लिए अपनाएं यह तरीका


मच्छर से काटने से बचें


फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. इसलिए इससे बचकर रहें. रात में सोते वक्त पूरे बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी लगवाएं. 


साफ सफाई खास ख्याल रखें


आसपास सफाई रखें गंदे पानी पनपने न दें. घर के आसपास और घर के अंदर साफसफाई रखें. 


जिसका नाम लिम्फैटिक फाइलेरियासिस या एलिफेंटियासिस(Elephantiasis) या फाइलेरिया है. ये रोग काफी दर्दनाक होता है. इसमें मरीज का अंग फूलकर काफी मोटा हो जाता है. यही कारण है कि आम बोलचाल में इसे हाथी पांव की बीमारी भी कहते हैं. अगर समय पर इसका इलाज न कराया जाए और ये लंबे समय तक रहे तो इसकी वजह से विकलांगता का खतरा भी हो सकता है.
 
फाइलेरिया के लक्षण
फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पैरों में सूजना आ जाती है और पैर सूजकर हाथी के पैर जैसे मोटे हो जाते हैं. इस बीमारी में टेस्टिकल्स (Testicles) में भी सूजन आ जाती है. विकलांगता का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है.
 
देश में एलिफेंटियासिस खतरनाक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमारे देश में हाथी पांव का खतरा काफी ज्यादा है. अकेले भारत में दुनियाभर के कुल मामलों का 40 प्रतिशत केस पाया जाता है. आज के समय की बात करें तो देश में करीब 740 मिलियन लोगों को ये बीमारी होने का खतरा है.
 
हाथी पांव का इलाज और रोकथाम
डॉक्टर के मुताबिक, हाथी पांव में इंफेक्शन के पहले स्टेज पर ही अगर पहचान हो जाए तो उसका इलाज हो सकता है और इसे रोका जा सकता है. शुरुआत में लक्षणों की पहचान कर इसके चक्र को ब्रेक कर दिया जाता है, जिससे परजीवी मच्छर आगे न बढ़ने पाएं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुतबिक, इस बीमारी को रोकने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) जैसे कई मेडिकल इलाज पर काम चल रहा है. इसके लिए दवाईयां बांटी जा रही हैं. गर्भवती महिलाएं और दो साल से कम उम्र के बच्चों समेत सभी को ये दवाईयां दी जाती हैं.
 
हाथी पांव की क्या दवाईयां होती हैं
डॉक्टरों का मानना है कि हाथी पांव के खिलाफ डायथाइलकार्बामाजिन (DEC), एल्बेंडाजोल और इवरमेक्टिन जैसी दवाईयां ज्यादा सुरक्षित हैं. हालांकि, इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं. बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, उल्टी, रैशेज, खुजली और बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.