Vaccine For Pancreatic Cancer: पैनक्रियाज यानी अग्नाश्य में होने वाला कैंसर, इस जानलेवा रोग का एक घातक रूप है. अब भी पैनक्रियाटिक कैंसर के दस में से नौ लोग जिंदगी की जंग हार जाते हैं. इस बीमारी से जुड़ा सर्वाइवल रेट साठ साल में भी नहीं सुधर सका है. इसकी मुख्य वजह है कि अब तक इसका कोई असरदार इलाज नहीं मिल सका है. इस दिशा में कोई भी कामयाबी मिलती है तो वो एक जंग जीतने के समान होती है. इस मामले में भी यही हो रहा है.

 

mRNA वैक्सीन ने जगाई उम्मीद

पैनक्रियाटिक कैंसर पर रिसर्च कर रहे कुछ एक्सपर्ट ने 16 पेनक्रियाटिक कैंसर पीड़ितों के इलाज के लिए mRNA वैक्सीन का उपयोग किया. ये वैक्सीन सर्जरी के जरिए ट्यूमर निकालने के बाद की गई. इसके बाद उन्हें 18 महीने के ट्रायल पीरियड के ऑब्जरवेशन में रखा गया. तब तक उनमें दोबारा कैंसर के लक्षण नहीं दिखे. एक ऐसा कैंसर जो सर्जरी के कुछ महीने बाद पलट कर हो जाता है. उनका रिलेप्स नहीं होना बड़ी कामयाबी माना गया.Heidelberg के जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर की ट्यूमर इम्यूनोलोजिस्ट Niels Halama ने इस कामयाबी को फेंटास्टिक और अनएक्पेक्टेड बताया. 

 

ऐसे हुई स्टडी

न्यूयॉर्क के Memorial Sloan Kettering Cancer Center में मरीजों के ट्यूमर रिमूव कर जर्मनी भेजे गए. BioNTech नाम की बायोटेक्नॉलोजी कंपनी ने इन ट्यूमर के टिश्यू जिनोम को सिक्वेंस किया. और ये म्यूटेशन Neoantigens को जानने की कोशिश की गई.

इसके बाद हर पेशेंट के अलग अलग Neoantigens को टार्गेट किया गया. ये एक बेहद जटिल प्रोसेस थी, जिसमें कई साल लगे. इसके बाद mRNA बेस्ड वैक्सीन तैयार किया गया. उसी तरह जैसे mRNA वैक्सीन, कोविड 19 के लिए बनाया गया था. इस रिसर्च का मकसद Neoantigen स्ट्रक्चर के खिलाफ इम्यून रिएक्शन को शुरू करना था.

 

ये वैक्सीन मरीज को पहली बार ऑपरेशन होकर ट्यूमर निकलने के नौ महीने बाद दी गई. इसके साथ कीमोथेरेपी भी जारी रखी गई. आठ मरीजों में इस वैक्सीन का अच्छा रिस्पॉन्स दिखा. जिनमें ट्यूमर की वापसी नहीं हुई. जबकि आठ मरीजों में कैंसर की वापसी हो गई. 

 

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