वैक्सीन का मानव परीक्षण मौत की घटना पर भी रोका नहीं जाना चाहिए. ब्राजील के डॉक्टर की मौत के बाद ये कहना है वैज्ञानिकों का. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के परीक्षण में डॉक्टर को प्लेसेबो डोज दिया गया था. बताया जाता है कि 28 वर्षीय डॉक्टर जोआओ पेड्रो फेएटोसा की मौत 15 अक्टूबर को कोविड-19 की पेचीदगी से हो गई.


मानव परीक्षण जारी रहने पर वैज्ञानिकों ने दिया जोर


मानव परीक्षण से जुड़े सूत्रों के हवाले से ब्राजील के अखबार ग्लोबो और न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया कि डॉक्टर ने वैक्सीन के बजाए प्लेसेबो लिया था. खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गरेथ विलियम्स ने कहा, "यहां वैक्सीन की जरूरत का सख्त संदेश है और परीक्षण करने से जवाब मिल सकता है. लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है कि ये क्यों महत्वपूर्ण है." उन्होंने बताया कि 'असाधारण घटना' उस वक्त भी घट सकती थी जब डॉक्टर को प्रयोगात्मक वैक्सीन दी जाती क्योंकि कोई भी वैक्सीन 100 फीसद प्रभावी नहीं होती है."


वैक्सीन पर वैज्ञानिक पत्र लिखनेवाले प्रोफेसर विलियम्स कहते हैं, "मौत के बावजूद परीक्षण को आगे बढ़ने से नहीं रोकना चाहिए." रीडिंग यूनिवर्सिटी में वायरस वैज्ञानिक प्रोफेसर इयान जोन्स ने कहा, "वैक्सीन के अंत तक परीक्षण को जल्द से जल्द जारी रखने का फैसला करना चाहिए." इस बीच, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बताया है कि तीसरे चरण का मानव परीक्षण जारी रहेगा क्योंकि स्वतंत्र समीक्षा में खुलासा हुआ है कि सुरक्षा चिंता की बात नहीं है.


ब्राजील के डॉक्टर की मौत के बाद भी वैक्सीन की वकालत


अब तक, ब्राजील में करीब 8 हजार और दुनिया भर में 20 हजार से ज्यादा वॉलेंटियर का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. ब्राजील कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक है. अंतिम चरण के मानव परीक्षण के नतीजे इस साल के बाद आने की उम्मीद है. परीक्षण के शुरुआती नतीजों में 'मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया' सामने आने का दावा किया गया था और कोई गंभीर साइड-इफेक्ट्स भी नहीं देखा गया था. जिसने महामारी के खात्मे के लिए ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को एक मजबूत उम्मीदवार बना दिया.


यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बयान में कहा, "ब्राजील में इस मामले के सावधान मूल्यांकन के बाद, मानव परीक्षण की सुरक्षा के बारे में कोई चिंता नहीं है और स्वंत्रत समीक्षा के अलावा ब्राजील के नियामक ने परीक्षण जारी रहने की सिफारिश की है." ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, एस्ट्राजेनेका या ब्राजील के अधिकारियों की तरफ से गोपनीयता के चलते ब्यौरे की पुष्टि नहीं की गई. लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, समझा जाता है कि डॉक्टर फेएटोसा प्लेसेबो के ग्रुप में थे.


डॉक्टर फेएटोसा कोविड-19 मरीजों का इलाज रियो डि जेनेरो के दो अस्पतालों के इमरजेंसी रूम और इंटेसिव केयर यूनिट में मार्च से कर रहे थे. ग्लोबो की रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले साल मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएशन की उन्होंने पढ़ाई पूरी की और संक्रमित होने से पहले उनका स्वास्थ्य ठीक था.


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