Friendship Value: स्टडी में हैरान करने वाले तथ्य... मेंटल हेल्थ सुधारने के लिए 'बूस्टरडोज' है फ्रेंडशिप
जीवन में हर व्यक्ति कोई न कोई दोस्त जरूर बनाता है. लेकिन उसके महत्व की जानकारी नहीं हो पाती है. कोविड में ऐसी स्टडी की गई. इसमें मानसिक स्वास्थ्य बेहतर करने में फ्रेंडशिप का बड़ा रोल रहा
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Value Of Friendship: हर एक दोस्त जरूरी होता है. जिंदगी में दोस्ती का रोल बताने के लिए ये लाइन बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा तमाम शेरो शायरी दोस्तों के लिए बनी हैं. लेकिन इस संबंध का महत्व मेंटली और फिजिकली हेल्थ से जुड़ा हुआ है. एक अध्ययन में सामने आया है जिन लोगों के साथ दोस्त रहे. उन्हें मानसिक तनाव छू तक नहीं सका. शारीरिक तौर पर भी उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. हंस, खेल कर उनका समय कट गया. जिनके साथ दोस्त नहीं रहे. उन्हें कई तरह की परेशानियां हुईं.
लॉकडाउन में 900 स्टूडेंट्स पर हुआ अध्ययन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 5 अलग अलग यूनिवर्सिटी ने इस अध्ययन के लिए 900 स्टूडेंट्स को चुना. इस दौरान कोविड चल रहा था. सभी स्टूडेंट्स पर लॉकडाउन के पहले, लॉक डाउन के दौरान और लॉकडाउन के बाद का अध्ययन किया गया. स्टडी करते समय शोधकर्ताओं ने कुछ प्वाइंटस भी बनाए. उन्हीं प्वाइंट की मदद से रात में इन लोगों में एंग्जाइटी, कनेक्शन, डिप्रेशन, बिहेवियर चेंज, डेली लाइफ की क्वालिटी को रिपोर्ट करने के लिए कहा.
इन बिंदुओं को भी शामिल किया गया
किसी से बातचीत करना या अकेला रहना, किसी से बातचीत करना और चुप रहना, अधिक देखभाल करना, कम ध्यान रखना, सुनना, दूसरे की राय को महत्व देना या अनसुना कर देना, एक दूसरे को पसंद करना और उनकी तारीफ करना, एक दूसरे के साथ मजाक करना, समझदारी भरी बातें करना शामिल किया गया. जब अध्ययनकर्ताओं की रिपोर्ट सामने आई तो नतीजे उत्साहजनक रहे.
स्टडी में ये आया सामने
अध्ययनकर्ताओं ने देखा कि इस पीरियड में छात्रों ने किस तरह अपनी जीवन को गुजारा. उनके जीवन में क्वालिटी रही या बोझिल रहा. चुप रहने वाले लोग अधिक खुश थे या जो दोस्तों के साथ समय गुजार रहे थे. उन्होंने बेहतर जीवन जिया. स्टडी के अनुसार, जिन दोस्तों ने अन्य दोस्तों के साथ कम्यूनिकेशन किया. उनका मेंटल लेवल अन्य की अपेक्षा में अधिक बेहतर रहा. जिनका समय दोस्तों के साथ हंसी मजाक में गुजरा, अपने दोस्तों की बातों को तरजीह दी. वो मेंटली और शारीरिक तौर पर फिट रहे. कुछ दोस्तों ने अपने दोस्तों से संपर्क करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. उनमें भी डिप्रेशन, एंग्जाइटी की शिकायत न के बराबर देखने को मिली.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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