Sitaram Yechury Death: शिक्षा-शोध के लिए दान किया गया सीताराम येचुरी का शरीर, ऐसे मामलों में कैसे होता है अंतिम संस्कार?
CPM दफ्तर में श्रद्धांजलि बाद AIIMS को रिसर्च के लिए वापस दे दिया जाएगी सीताराम येचुरी का पार्थिव शरीर. मृत शरीर को संरक्षित करने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है AIIMS.
भारतीय राजनीति के एक प्रमुख मार्क्सवादी कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी ने 12 सितंबर 2024 को 3 बजकर 5 मिनट पर एम्स के आईसीयू में आखिरी सांस ली. उनकी उम्र 72 साल की थी. वह काफी वक्त से बीमार चल रहे थे. बताया जा रहा है कि वह गंभीर चेस्ट इंफेक्शन से पीड़ित थे. जिसके कारण उन्हें 19 अगस्त 2024 को निमोनिया के कारण AIIMS में भर्ती कराया गया था.
परिवार सीताराम येचुरी के शरीर को दान में देगी
सीताराम येचुरी के परिवारवालों ने एक अहम फैसला किया है. वह यह कि उनके परिवार ने उनके शरीर को AIIMS, नई दिल्ली को शिक्षा और अनुसंधान के उद्देश्यों के लिए दान कर दिया है, जिससे उनकी विरासत उनके राजनीतिक योगदान से परे हो जाएगी. सीताराम याचूरी का पार्थिव शरीर एम्स को शिक्षा और अनुसंधान के उद्देश्य से दान दिया है लेकिन क्योंकि सीताराम याचूरी को उनके परिवार, पार्टी और चाहने वाले लोग श्रद्धांजलि देना चाहते हैं इसलिए 14 सितंबर को कम दफ्तर में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा इसके बाद वापस एम्स को सौपा जाएगा.
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AIIMS कर रहा है मृत शरीर को संरक्षित करने की प्रक्रिया
सीताराम येचुरी के निधन के बाद परिवार और उनकी इच्छा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को एम्स को दान किया गया है इसीलिए उनके मृत शरीर को संरक्षित करने की प्रक्रिया aiims पूरी कर रहा है. एम्स की प्रोफेसर इंचार्ज -मीडिया डॉक्टर रीमा दादा ने यह जानकारी एबीपी न्यूज़ को दी है कि निधन के बाद पार्थिव शरीर को डिपार्मेंट आफ एनाटॉमी ले जाया गया. (एनाटॉमी डिपार्टमेंट वह डिपार्टमेंट होता है जहां शरीर की रचना एवं उसके विभिन्न अंगों के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है.)
जहां पर मृत शरीर की "एम्बल्मिंग" की जा रही है, इसमें मृत शरीर के द्रवों को निकालकर उनकी जगह एक विशेष रसायनिक समाधान भरा जाता है, जो शरीर को सड़ने से रोकता है और उसे लंबे समय तक संरक्षित रखता है. पार्थिव शरीर को संरक्षित करने के बाद श्रधांजलि के लिए परिवार को सौपा जाएगा.
शिक्षा और रिसर्च के लिए इस्तेमाल होगा पार्थिव शरीर
एम्स ऑफिशल्स बताते है कि जो कदम सीताराम येचुरी और उनके परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को संस्थान को डोनेट किया वह कदम सहारनीय है. इस फैसले को एक नोबल डिसिशन बताया. आपको बता दें कि पहले साल के एमबीबीएस छात्र जो प्री क्लीनिकल सब्जेक्ट्स से होते उनको एनाटोमी मृत शरीरों पर स्टडी कराई जाती है. इसके इलावा ऑर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी, ईएनटी सर्जरी के सर्जन इन मृत शरीरों पर प्रैक्टिस करते है.
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