मल्टीपल ऑर्गन फेल होने से गई विक्रम गोखले की जान, ऐसे लोगों को रहता है सबसे ज्यादा खतरा
जब शरीर के एक से अधिक अंग काम करना बंद कर देते हैं तो उसे मल्टीपल ऑर्गन फेलियर कहा जाता है. लेकिन ये क्यों होता है और किन लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है, इसे समझते हैं.
Multiple Organ Failure Syndrome: फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता विक्रम गोखले का 77 साल की उम्र में निधन हो गया. मल्टीपल ऑर्गन फेल होने की वजह से उनकी जान गई. 'हम दिल दे चुके सनम' और अग्निपथ जैसी फिल्मों में काम कर चुक विक्रम गोखले, हिंदी और मराठी इंडस्ट्री के जाने-माने अभिनेता रहे. आजकल मल्टीपल ऑर्गन फेलियर भी न जाने कितने ही लोगों की मौत का कारण बन रहा है. आइए आज जानते हैं कि आखिर क्या है मल्टीपल ऑर्गन फेलियर और कैसे एक साथ फेल हो जाते हैं शरीर के दो या इससे ज्यादा अंग?
क्या होता है मल्टीपल ऑर्गन फेलियर?
शरीर में आई कोई गंभीर चोट या संक्रमण से आई सूजन, जब दो या दो से अधिक अंग प्रणालियों में शिथिलता का कारण बनती है तो इसे मल्टीपल ऑर्गन फेलियर कहा जाता है. मल्टीपल ऑर्गन सिस्टम फेलियर को मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम (MODS) के नाम से भी जाना जाता है, यह मरीज के लिए बेहद घातक हो सकता है. इस स्थिति में पीड़ित की जान तक भी जा सकती है. इससे इम्यून सिस्टम सहित पूरा शरीर प्रभावित होता है.
इसका कारण क्या है?
इसका कोई एक ठोस कारण नहीं है, क्योंकि मरीज के हिसाब से इसके कई फैक्टर्स हो सकते हैं. हालांकि, ऑर्गन सिंड्रोम को सेप्सिस (Sepsis) के जरिए ट्रिगर किया जा सकता है. ये सिंड्रोम संक्रमण, चोट, हाइपोपरफ्यूजन और हाइपरमेटाबॉलिज्म के कारण होता है. इस स्थिति में साइटोकिन्स सेल्स का बनना अहम भूमिका निभाता है. इसमें सेल्स को सूचना भेजकर इम्यून सिस्टम को एक्टिव रखा जाता है. शरीर में ब्रैडीकिनिन प्रोटीन्स की मात्रा ज्यादा होने पर भी मल्टीपल ऑर्गन फेलियर हो सकता है.
इसके लक्षण
इस स्थिति में शरीर में ब्लड सर्कुलेशन के प्रभावित होने से शरीर में सूजन आने लगती है और ब्लड क्लॉट भी बनने लगते हैं. इसकी चपेट में आने से शरीर को ठंड का एहसास होना, मांसपेशियों में दर्द, पेशाब का न आना, सांस लेने में बहुत कठिनाई होना, स्किन का बेजान पड़ जाना आदि इसके लक्षण हैं.
कौन-से अंग होते हैं ज्यादा प्रभावित?
इससे मुख्य रूप से फेफड़े, हृदय, गुर्दा, जिगर, मस्तिष्क, रक्त प्रभावित होते हैं.
इसका इलाज क्या है?
शोध के मुताबिक, देश और दुनिया में ऑर्गन फेलियर वाले रोगियों का उपचार अभी भी काफी हद तक कारगर है. पिछले 20 सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो रोगी की मृत्यु दर का प्रभाव काफी कम हुआ है. समय रहते अगर व्यक्ति अपने सिम्टम्स को पहचान लेता है तो वो अपनी जांच करा सकता है. अगर आपको खुद में ये लक्षण दिखते हैं तो बिना देर किए अपने डॉक्टर से बात करें. समय रहते इसका इलाज कराने से आप काफी हद tk अपना बचाव कर सकते हैं.
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